
हरिद्वार, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा ह कि साकार की पूजा सार्थक फलदायी होती है, जबकि निराकार की पूजा मानसिक शांति प्रदान करती है। कर्म करना व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य है, जिस पर उम्र का बंधन नहीं होता है और जिसकी सोच सकारात्मक होती है वह संपूर्ण समाज का हितैषी बन जाता है। वे आज राजा गार्डन स्थित हनुमान मंदिर सत्संग हॉल में भगवान की गोवर्धन लीला का वर्णन कर रहे थे।
भागवत प्रेमियों को कर्म योग की दीक्षा देते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति को भाग्य के भरोसे न रहकर जन्म से मृत्यु तक कर्म करते रहना चाहिए और उत्तम फल उसी को मिलता है जिसका कर्म सर्वोत्तम होता है। भगवान की गोवर्धन लीला को संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणादायी बताते हुए उन्होंने कहा कि कन्हैया ने निराकार के स्थान पर साकार की पूजा का संदेश देते हुए गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाकर इंद्र का अभिमान तोड़ दिया था और आज भी जो व्यक्ति गोवर्धन की पूजा करते हैं उनके सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।
भागवत भक्तों को आशीर्वचन देते हुए श्रीजगतगुरु आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने गीता को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ बताते हुए कहा कि गीता मनीषी वयोवृद्ध संत महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती के सभी भक्त भाग्यशाली हैं, जिनको वास्तविक संत और सच्चे सद्गुरु का सानिध्य मिल रहा है। उन्होंने सभी भक्तों से गोपी भाव, समर्पण की भावना से भगवत भक्ति में लीन होने का आवाहन करते हुए कहा कि भारत ऋषि और कृषि प्रधान देश था, लेकिन आज कुर्सी प्रधान देश बन रहा है तथा आज के व्यक्ति को परमात्मा नहीं पैसे की चाहत है। उन्होंने परमात्मा को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि हम कोई भी काम करें लेकिन भगवान को सदैव याद रखें।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
