

पटना, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को बक्सर जिला के डुमरांव और पटना के फुलवारीशरीफ में दो अलग-अलग जनसभाओं को संबोधित किया और लोगों से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने की अपील की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य सरकार की ओर से मुस्लिम समुदाय के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया।
नीतीश कुमार ने कहा कि हमने समाज के सभी वर्गों के लोगों के हित में कार्य किया है। राज्य में प्रेम, भाईचारा एवं शांति का वातावरण है। लगातार 20 वर्षों से विकास कार्यों में लगे रहने का परिणाम है कि आज बिहार प्रगति के नये आयाम स्थापित कर रहा है। आने वाले समय में बिहार देश के सबसे विकसित राज्यों में शुमार होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले राज्य में मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए कोई काम नहीं होता था। उससे पहले बिहार में जिन लोगों की सरकार थी, उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अक्सर साम्प्रदायिक झगड़े होते थे। 24 नवंबर 2005 को जब हमलोगों की सरकार बनी तब से मुस्लिम समुदाय के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। 2025-26 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट में 306 गुणा की वृद्धि करते हुए 1080.47 करोड़ रूपये बजट का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक घटनायें नहीं हों, उसके लिये वर्ष 2006 से संवेदनशील कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू की गयी। अबतक आठ (08) हजार से अधिक कब्रिस्तानों की घेराबंदी करा दी गयी है। मुस्लिम समाज के परामर्श से 1273 और कब्रिस्तानों को घेराबंदी के लिये चिन्हित किया गया, जिसमें 746 कब्रिस्तानों की घेराबंदी पूर्ण हो गयी है और शेष का काम शीघ्र पूरा कर लिया जायेगा।
नीतीश कुमार ने कहा कि इन्हीं विपक्षी दलों की जब सरकार थी, तब वर्ष 1989 में भागलपुर में साम्प्रदायिक दंगे हुये। दंगा रोकने में तब की सरकार विफल रही और साम्प्रदायिक दंगा पीड़ितों के लिये पूर्व की सरकारों ने कुछ नहीं किया। जब हमलोगों को सेवा का मौका मिला, तब भागलपुर साम्प्रदायिक दंगा की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गयी और दंगा पीड़ितों को मुआवजा दिया गया। साथ ही दंगा से प्रभावित परिवारों को पेंशन के रूप में भी मदद दी जा रही है। पहले कितना हिन्दू-मुस्लिम झगड़ा होता था, अब आज कोई झगड़ा नहीं होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 से मदरसों का निबंधन किया गया तथा उन्हें सरकारी मान्यता दी गयी। मदरसा के शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जा रहा है। इसके अलावा मुस्लिम परित्यक्ता/ तलाकशुदा महिलाओं को रोजगार देने के लिये वर्ष 2007 से 10 हजार रूपये की सहायता राशि दी जाने लगी, जिसे अब बढ़ाकर 25 हजार रूपये कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिये तालीमी मरकज और हुनर जैसी उपयोगी योजनायें चलायी गयीं। मुस्लिम समुदाय के छात्र-छात्राओं एवं युवाओं के लिये छात्रवृत्ति, मुफ्त कोचिंग, छात्रावास, अनुदान आदि योजनायें चलायी जा रही हैं। युवाओं को अपना रोजगार शुरू करने के लिये उद्यमी योजना का लाभ दिया जा रहा है।
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के समय में कुछ लोग फिर से अपने-आप को मुस्लिम समुदाय का हितैषी बताने में जुट गए हैं। ये सब छलावा है। सिर्फ मुस्लिम वर्ग के लोगों का वोट हासिल करने के लिए तरह- तरह के लालच और हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, जबकि उन्हें किसी तरह की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी देने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि आप लोग किसी भ्रम में नहीं रहें। हमारी सरकार ने जो आपके लिए काम किए हैं, उसे याद रखिए और उसी आधार पर तय कीजिए कि अपना वोट किसे देना है।—————
(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी