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प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है प्राकृतिक आपदाएं, यज्ञ से होती है वातावरण की शुद्धि: आचार्य रणवीर शास्त्री

आर्य समाज मंडी में हवन के साथ श्रावणी महोत्सव का शुभारंभ।

मंडी, 06 अगस्त (Udaipur Kiran) । महर्षि स्वामी दयानंद द्वारा स्थापित आर्यसमाज की स्थापना के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने पर आर्य समाज मंदिर मंडी में श्रावणी महोत्सव का शुभारंभ हवन यज्ञ और प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति की कामना के साथ शुरू हुआ। आर्य समाज मंदिर के प्रधान अरूण कुमार कोहली ने बताया कि 6 से 10 अगस्त तक आयोिजत होने वाले श्रावणी पर्व वेद सप्ताह में सहारनपुर उततर प्रदेश के प्रख्यात विद्वान आचार्य रणवीर शस्त्री वेद ज्ञान की गंगा प्रवाहित करेंगे। वहीं पर भजनोपदेशक कुलदीप भास्कर करनाल ने अपने सुमधुर भजनों से श्रावणी महोत्सव का शुभारंभ किया। इससे पूर्व चतुर्वेद शतकम यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें उपस्थित यजमानों ने आहुति डाली।

इस अवसर पर अपने आचार्य रणवीर शास्त्री ने कहा कि प्रकृति, सूर्य, वायु, जल और अंतरिक्ष जड़ देवताओं की श्रेणी में आते हैं जबिक माता-पिता जीवंत देवता हैं। उन्होंने कहा कि एक मधुमक्खी अपने काम में लगी रहती है, जब तक उससे छेड़छाड़ नहीं करोगे वह डंक नहीं मारेगी। उसी प्रकार प्रकृति, वायु, जल और अंतरिक्ष से मनुष्य अपने स्वार्थ, लालच के छेड़छाड़ कर रहा है, जिसकी वजह से प्रकृति का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। मनुष्य अपने वैभव, ऐश्वर्य और अहंकार के चलते प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है। जिसके परिणाम स्यवरूप दैवीय प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। इसके विपरीत यज्ञ का अर्थ केवल आहूति मात्र नहीं है, यह वातावरण का संरक्षण करता है।

उन्होंने कहा कि अग्निहोत्र से वातावरण शुद्ध होता है। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर लोग सामुदायिक परिवहन व्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि पैट्रोल और डीजल से उत्सर्जित होने वाली गैसों से प्रकृति को बचाया जा सके। जबकि हमारे देश में एक व्यक्ति भी गाड़ी लेकर निकल पड़ता है। इस तरह एक मार्ग पर हजारों गाड़ियां एकसाथ निकलने से वातावरण अशुद्ध होता है। इसके साथ ही लोगों के घरों में लगे एसी आदि भी ग्लाेवल वार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मनुष्य प्रकृति से कितनी छेड़छाड़ कर रहा और प्रकृति उससे नाराज होकर दैवीय प्रकोप से प्राणी मात्र को आक्रांत कर रही है। इस अवसर पर आर्यसमाज मंदिर के अन्य पदाधिकारियों में हरी बहल, पंडित वेदमित्र शर्मा, जगदीश कपूर आदि ने यज्ञशाला में हवन पाठ कर आहूति प्रदान की।

पंडित वेद मित्र शर्मा ने बताया कि श्रावणी महात्सव के दौरान हर रोज सुबह साढ़े सात बजे से साढ़े नौ बजे तक तथा सांय पांच बजे से सात बजे तक भजन प्रवचन का आयोजन दस अगस्त तक जारी रहेगा। जबिक दस अगस्त को प्रात: नौ बजे से 12 बजे तक यज्ञ, पूर्णाहुति, आर्शीवाद, प्रसाद वितरण, भजन, प्रवचन के उपरांत ऋृषि लंगर का आयोजन किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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