
हरिद्वार, 23 जून (Udaipur Kiran) । सक्रियता, सीखना एवं सोचना तीन आवश्यकताओं के परस्पर समन्वय से जनसामान्य का जीवन गतिमान एवं चलायमान बनता है। लेकिन जब यह समन्वय असन्तुलित होता है तब जनसामान्य से चलकर वैश्विक स्तर तक की व्यवस्थाओं को प्रभावित करके उनमें अस्थिरता पैदा करता है, जिसके कारण अशान्ति एवं भय का माहौल उत्पन्न होता है।
गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में विश्व ओलम्पिक दिवस के उपलक्ष्य में आतंकवाद एवं अशान्ति भरे वातावरण में शान्ति की स्थापना पर परिसंवाद में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिवकुमार चौहान ने कहा कि ओलम्पिक का महत्व विश्व में शान्ति स्थापत्य से आरम्भ हुआ है। शान्ति जीवन का अमूल्य एवं शाश्वत सत्य है, जिसकी प्राप्ति जीवन का सर्वोपरि एवं सर्वोत्तम उदेश्य है। उन्हाेंने कहा कि आज पूरा विश्व आतंकवाद, भय एवं अशान्ति से किसी न किसी रूप मे प्रभावित हो रहा है। भौतिक संसाधनों की बढती होड़, बिगड़ती अर्थव्यवस्था वर्चस्व एवं सामर्थ्य शक्ति के लिए परमाणु एवं मिसाईल के प्रयोग का बढता खतरा इसके मूल में निहित है। ऐसे में चिन्तन एवं मंथन करने के लिए विश्व ओलम्पिक दिवस का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
अस्थिरता के दौर को पुनः स्थिर बनाये रखने के प्रयासों में खेल, संस्कृति एवं आपसी सौहार्द का होना अपने आप में महत्वपूर्ण है। डॉ. शिवकुमार चौहान ने परिसंवाद में चर्चा के दौरान कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी द्वारा पहली बार 23 जून 1948 को खेलों के माध्यम से ओलम्पिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से यह आयोजित किया गया था। 78 वर्षों की अनवरत यात्रा के अनेक पड़ाव पर खेलों के माध्यम से विश्व शान्ति को केन्द्र में रखते हुए यह दिवस आज भी मनाया जाता आ रहा है। वर्ष 2025 में विश्व ओलम्पिक दिवस की थीम में मूव, लर्न तथा डिस्कवर को लक्ष्य के रूप में रखा गया है। प्रत्येक व्यक्ति को विश्व ओलम्पिक दिवस पर तीन संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया जिसमे पहला संकल्प हर दिन कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधियां पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना। दूसरे संकल्प के रूप मे मानवता, समानता और खेल भावना जैसे ओलम्पिक मूल्यों को बढावा दें तथा तीसरे संकल्प में नये खेलाें को आजमाने और विभिन्न संस्कृतियों को जानने के लिए अवसर प्रदान करने का प्रयास करना सम्मिलित है।
इस अवसर पर प्रो. रमेश कौशिक, डॉ. संजीव शर्मा, डॉ. प्रीति, डॉ. कुमकुम भारद्वाज, डॉ. सतेन्द्र सिंह सहित परिसंवाद में शारीरिक शिक्षा जगत के विद्वान, खेल विशेषज्ञ, खेल संगठनों के प्रतिनिधि, आर्थिक मामलों के जानकार सहित शोध छात्र मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
