
शिमला, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) शिमला और किन्नौर में दुकानों के आबंटन का मुद्दा प्रमुखता से गूंजा। इस दौरान विपक्षी दल भाजपा ने इस मामले में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सदन में हंगामा किया और फिर नारेबाजी करते हुए वाकआउट कर दिया। विपक्षी भाजपा सदस्यों ने मामले की विजिलेंस या न्यायिक जांच की मांग उठाई, जबकि कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि दुकानों का आबंटन पूरी तरह से पारदर्शी और निर्धारित प्रक्रिया के तहत हुआ है।
भाजपा विधायक सुधीर शर्मा (धर्मशाला) और रणधीर शर्मा (नैना देवी) ने मूल प्रश्न उठाते हुए कहा कि शिमला और किन्नौर में दुकानों के आबंटन में भारी अनियमितताएं हुई हैं। रणधीर शर्मा ने अनुपूरक सवाल में आरोप लगाया कि शिमला में 70 दुकानों के लिए 133 आवेदन आए थे, जिनमें से 63 आवेदन मनमाने ढंग से रद्द कर दिए गए। उन्होंने कहा कि जिन आवेदकों को दुकानें देनी थीं, उनके आवेदन ही तर्कसंगत पाए गए और आवंटन भी मनमाने मासिक किराए पर किया गया। साथ ही, उन्होंने कहा कि जांच केवल औपचारिकता रही, लेकिन आबंटन रद्द नहीं किए गए और 2021 की नीति की भी अवहेलना हुई।
इस पर कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने जवाब देते हुए कहा कि पराला में 34, शिलारू में 28 और टूटू में 3 दुकानें आबंटन के लिए रखी गई थीं। इनके लिए बाकायदा टेंडर जारी किए गए और आवेदन की पूरी छानबीन हुई। जिन आवेदनों में आवश्यक दस्तावेज पूरे नहीं थे, उन्हें ही रद्द किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आबंटन पूरी तरह 2021 की नीति के अनुसार हुआ है और इसमें किसी भी तरह की धांधली नहीं की गई है। मंत्री ने कहा कि भाजपा के विधायक बिना तथ्यों के हवा में आरोप लगा रहे हैं और आबंटन को रद्द करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने सवाल किया कि यदि आबंटन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई तो संबंधित अधिकारियों का तबादला क्यों किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों को बदलना इस बात का प्रमाण है कि सरकार कुछ छिपा रही है। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच करवाई जाए। इस पर मंत्री ने फिर दोहराया कि अधिकारियों का तबादला सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है और भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है।
वहीं चाैपाल से भाजपा विधायक बलबीर वर्मा ने पराला मंडी में दुकानों के आबंटन को लेकर विजिलेंस जांच की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि स्थानीय बागवानों को दुकानों में प्राथमिकता नहीं दी गई और इसमें भारी घोटाला हुआ है। इस पर कृषि मंत्री ने फिर कहा कि भाजपा विधायक केवल हवा में बातें कर रहे हैं और यदि वे लिखित रूप में कोई ठोस तथ्य देंगे तो उनकी छानबीन जरूर की जाएगी। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायक सदन में जोरदार नारेबाजी करने लगे और आखिरकार सदन से वाकआउट कर गए।
विपक्ष के वाकआउट के बाद संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि वो बिना तथ्यों के झूठे आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि जब भाजपा सत्ता में थी, तब जमीनें कौड़ियों के भाव बेची गईं। प्रगतिनगर में गत्ता फैक्टरी मात्र 90 लाख रुपये में बेची गई। ऐसे में भाजपा को दूसरों पर बेबुनियाद आरोप लगाने से पहले अपने कार्यकाल की ओर देखना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
