पलवल, 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । सावन का पवित्र महीना शुरू होने के साथ ही पलवल जिले में शिव कावड़ यात्रा का उत्साह चरम पर है। इस वर्ष सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हुई, और जिले के विभिन्न हिस्सों से हजारों शिव भक्त कावड़ लेकर हरिद्वार, गौमुख और अन्य पवित्र स्थानों से गंगाजल लाने के लिए रवाना हुए। पलवल के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, और कावड़ यात्रा में युवाओं का जोश देखते ही बनता है।
पलवल के होडल, हथीन और पलवल शहर के मुख्य मार्गों पर कावड़ियों के जत्थे भोलेनाथ के जयकारों के साथ नजर आए। स्थानीय प्रशासन ने यात्रा को सुगम बनाने के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। प्रमुख मार्गों पर पुलिस बल तैनात किए गए हैं, और कावड़ियों के लिए विश्राम स्थल, पेयजल और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
जिला उपायुक्त डॉ हरिष कुमार वशिष्ठ ने गुरूवार को बताया कि जिले में 50 से अधिक कावड़ सेवा शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां भक्तों को भोजन और ठहरने की सुविधा दी जा रही है। इस वर्ष कावड़ यात्रा में पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा गया। कई संगठनों ने प्लास्टिक मुक्त कावड़ यात्रा का संदेश दिया, और भक्तों को कपड़े के थैले और मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। स्थानीय शिव भक्त अमित शर्मा ने कहा, हम भोलेनाथ की कृपा से गंगाजल लाते हैं और पर्यावरण की रक्षा भी हमारा कर्तव्य है।
सावन के पहले सोमवार को पलवल के प्राचीन शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। भक्तों ने शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र और दूध अर्पित कर मनोकामनाएं मांगी। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष रमेश चंद्र ने बताया कि सावन के प्रत्येक सोमवार को विशेष आरती और भजन संध्या का आयोजन होगा। पलवल की कावड़ यात्रा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का भी संदेश देती है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह यात्रा जिले की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को और मजबूत करती है।
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(Udaipur Kiran) / गुरुदत्त गर्ग
