
नैनीताल, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । नैनीताल उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड लोकसेवा आयोग (पीसीएस) की परीक्षा में राज्य की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के नियम को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तिथि नियत की है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार सत्य देव त्यागी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 की धारा 3(1) को चुनौती देते हुए कहा कि सार्वजनिक सेवाओं और पदों में उत्तराखंड में रहने वाली महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 के दायरे से बाहर है। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 14 मार्च 2024 पीसीएस के विभिन्न पदों जिनमें डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, जिला कमांडेंट होम गार्ड आदि के 189 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है। इस विज्ञापन के खंड 10 (डी) में उत्तराखंड की मूल निवासी महिला उम्मीदवारों के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया है।
इस आरक्षण को चुनौती देते हुए न्यायालय से प्रार्थना की गई कि उपरोक्त भर्ती प्रक्रिया में उत्तराखंड की महिलाओं के लिए मूल निवास आधारित क्षैतिज आरक्षण नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अधिनियम उत्तराखंड राज्य विधानमंडल द्वारा विधायी अधिकार के बिना ही अधिनियमित किया गया है। जो भारत के संविधान के भाग 3 का उल्लंघन है, इसलिए यह असंवैधानिक है।
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(Udaipur Kiran) / लता
