शिमला, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के बागवानी क्षेत्र में एक रहस्यमयी बीमारी ने सेब उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में सेब के बगीचों में तेजी से फैल रही इस नई बीमारी के कारण पत्ते पीले पड़ रहे हैं और समय से पहले झड़ रहे हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर गंभीर असर पड़ रहा है। हालात की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस रोग की वैज्ञानिक जांच के आदेश दिए हैं।
मंगलवार को सेब उत्पादकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस नई बीमारी से उत्पन्न स्थिति की जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि इस रोग से बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और यदि समय रहते नियंत्रण के उपाय नहीं किए गए, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) के कुलपति से दूरभाष पर बात की और विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीमों को तत्काल प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का मूल्यांकन करने को कहा। उन्होंने निर्देश दिए कि इस रोग की वैज्ञानिक स्तर पर जांच की जाए और सात दिनों के भीतर प्रदेश सरकार को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बीमारी का समय रहते पता लगाना और नियंत्रित करना आवश्यक है, ताकि सेब उत्पादकों को और अधिक नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि बागवानों को इस रोग की पहचान, नियंत्रण और रोकथाम के उपायों के बारे में जमीनी स्तर पर जानकारी दी जाए।
उन्होंने कहा, “सेब उत्पादन हिमाचल की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। हजारों परिवार इस व्यवसाय से अपनी आजीविका चला रहे हैं। ऐसे में सरकार किसानों और फल उत्पादकों की हर समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार सभी आवश्यक कदम उठाएगी और किसानों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार, बागवानों के हितों की रक्षा के लिए वैज्ञानिक संस्थानों और कृषि विशेषज्ञों के साथ समन्वय बनाकर त्वरित कार्रवाई करेगी।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
