
हुगली, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश के बाद रविवार को राज्यभर में एक नए आलू व्यापार संगठन की शुरुआत की गई। इसको लेकर हुगली जिले के हरिपाल में एक विशेष बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें कृषि मंत्री शोभनदेव चटर्जी, कृषि विपणन राज्य मंत्री बेचाराम मन्ना, पशुपालन मंत्री स्वपन देवनाथ, पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार, सहित कई विधायक, पंचायत समिति के सदस्य और संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
इस मौके पर मंत्रियों ने पश्चिम बंगाल प्रोग्रेसिव पोटैटो ग्रोअर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन नामक नए संगठन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने कहा, “मुख्यमंत्री चाहती हैं कि सभी वर्गों के लोगों का भला हो। हर मुद्दे पर बातचीत की जा सकती है, लेकिन बिना संवाद के हड़ताल पर जाना सही तरीका नहीं है।”
दरअसल, अब तक राज्य में पश्चिम बंगाल प्रगतिशील आलू व्यापार संघ ही प्रमुख संगठन था, जो सरकार से जुड़े सभी आलू संबंधित मुद्दों पर बातचीत करता था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब पहले से एक संगठन था, तो नए संगठन की जरूरत क्यों पड़ी?
विशेषज्ञों की मानें तो इसका जवाब बीते साल की घटनाओं में छिपा है। राज्य सरकार ने पिछले साल राज्य की मांग को प्राथमिकता देने के लिए व्यापारियों को अन्य राज्यों में आलू भेजने से रोका था। इस निर्णय के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद आलू व्यापारियों के संगठन से बैठक की थी। लेकिन उसके बाद भी राज्यभर में हड़ताल और आंदोलन शुरू हो गया, जिससे सरकार और व्यापारियों के बीच तनाव बढ़ा था।
हड़ताल के बाद पैदा हुए हालातों को देखते हुए सरकार ने वैकल्पिक संगठन की जरूरत महसूस की। हरिपाल की बैठक में राज्य मंत्री बेचाराम मन्ना ने साफ कहा कि जो संगठन पहले से था, वह सरकार को संकट में डालता था और उसके निर्णयों को नहीं मानता था। इसीलिए अब एक वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पुराने संगठन के राज्य सचिव लालू मुखर्जी ने नाराजगी जताई और सोमवार को कहा कि अगर नया संगठन स्वतंत्र व्यापारियों ने बनाया होता, तो बात अलग थी। लेकिन राज्य सरकार के संरक्षण में ऐसा संगठन बनाना जरूरी नहीं था। हमने हमेशा सरकार का सहयोग किया है। जब कीमतों पर टकराव हुआ था, हमने कहा था कि यह हमारे हाथ में नहीं है। हमें मिलकर समाधान खोजना चाहिए था। लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं मानी।
(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
