Uttar Pradesh

महिलाओं के हाथों में स्वावलंबन की डोर, खुल रही आत्मनिर्भरता की नई राह

प्रतीकात्मक फोटो

– बिजली सखी संगीता ने बदली गांव की तस्वीर, 5 महीने में वसूले 12 लाख – सिर्फ बिल नहीं, भरोसा भी जुटाया, लोग अब खुद चलकर आते हैं बिल भरने

मीरजापुर, 27 जून (Udaipur Kiran) । जिस काम को कभी पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था, अब उसी क्षेत्र में एक महिला ने परचम लहराया है। मीरजापुर के लालगंज ब्लॉक के नेवढ़िया गांव की बिजली सखी संगीता देवी ने महज पांच महीने में 12 लाख रुपये की वसूली कर न केवल विभाग को चौंकाया बल्कि 72 हजार रुपये का कमीशन कमा कर महिलाओं के लिए एक नई राह भी बनाई है।

संगीता देवी का सफर स्वयं सहायता समूह ‘कोमल’ से शुरू हुआ। प्रशिक्षण के बाद उन्हें विद्युत सखी के रूप में जिम्मेदारी मिली। शुरू में लोग संशय में थे कि क्या एक महिला बिजली वसूली कर पाएगी? लेकिन संगीता ने संकल्प लिया कि वह सिर्फ बिजली नहीं, भरोसा भी इकट्ठा करेगी। बिजली सखी संगीता ने कहा कि शुरुआत में लोग टालते थे, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। हर उपभोक्ता को मैसेज भेजा, समझाया और धीरे-धीरे लोग खुद मेरे पास आने लगे।

नारी शक्ति की रोशनी फैली गांव-गांव बिजली सखी बनने के बाद संगीता ने एक-एक उपभोक्ता से संपर्क कर उन्हें समय से बिल भरने को प्रेरित किया। उनकी बातों में ईमानदारी, व्यवहार में अपनापन और कार्यशैली में साफगोई थी। यही कारण है कि अब गांव वाले उन्हें सिर्फ संगीता नहीं, ‘अपनी बिजली दीदी’ कहने लगे हैं।

–मेहनत का मीठा फल संगीता को हर लाख की वसूली पर 6000 का कमीशन मिला। पांच महीने में 12 लाख की वसूली कर उन्होंने 72,000 की आय अर्जित की। वो भी ग्रामीण परिवेश में, जहां महिलाओं की कमाई अक्सर शून्य होती है। खंड विकास अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने कहा कि संगीता जैसी महिलाएं गांव की ताकत हैं। वो दिखा रही हैं कि महिलाएं सिर्फ घर नहीं, समाज भी चला सकती हैं।

–पारदर्शिता बनी पहचान संगीता की सबसे बड़ी खासियत रही पारदर्शिता। उन्होंने हर बिलिंग के बाद उपभोक्ताओं को मोबाइल मैसेज भेजा, जिससे लोगों को विश्वास हुआ कि उनके पैसे सही जगह जा रहे हैं।

–संगीता की कहानी, सैकड़ों की प्रेरणा आज संगीता देवी सिर्फ बिजली बिल वसूली नहीं कर रही हैं, वो एक आंदोलन चला रही हैं महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने का। उनकी सफलता ने आस-पास की दर्जनों महिलाओं को प्रेरित किया है कि हिम्मत हो तो हर मुश्किल आसान बन जाती है।

(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा

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