
जोधपुर, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । पश्चिमी राजस्थान में बकरी पालन व्यवसाय अब तेजी से बढ़ते उद्योग का रूप लेता जा रहा है। कम खर्चे में नुकसान रहित यह व्यवसाय किसानों व युवाओं के लिए समृद्धि के नए द्वार खोल रहा है, कृषि विश्वविद्यालय में प्रदेश के एकमात्र किसान कौशल विकास केंद्र में वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन सीखने के लिए लगातार बढ़ती हुई युवाओं की भीड़ इस बात की ओर इशारा करती है कि एंटरप्रेन्योरशिप के लिए सबसे पसंदीदा उद्योगों में साबित हो रहा है। यह बात कुलगुरु डॉ अरुण कुमार ने कही।
कृषि विश्वविद्यालय में केन्द्र की ओर से आयोजित बकरी पालन प्रशिक्षण शिविर के समापन के मौके पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ अरुण कुमार ने इस उद्योग को लेकर प्रशिक्षणार्थियों से विशेष चर्चा की।
समारोह के दौरान बकरी पालन व्यवसाय में लाभ को बढ़ाने के मक़सद से कुलगुरु ने कहा कि भेड़ बकरियों से प्राप्त चमड़े से बनने वाले कुटीर उद्योगों को पुन: जीवित करने की आवश्यकता है ताकि लोग टिकाऊ उत्पादों से जुड़े। उन्होंने कहा कि केंद्र में कालीन बुनकरों के लिए विशेष ट्रेनिंग की शुरुआत करवाई जाएगी। इसे न सिर्फ देशी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी, उन्होंने कहा कि किसान और पशुपालक संगठन बनाकर अपने उत्पादों को बाजार में उतारे, साथ ही अपने उत्पाद की कीमत भी स्वयं तय करें। इस दौरान डीन डॉ जे आर वर्मा ने बकरी के बालों से तैयार ऊन उत्पादों को को पुन: चलन में लाने की आवश्यकता बताई।
कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि एपीडा के डीजीएम मान प्रकाश विजय ने कहा कि एपीडा फसल व पशु उत्पादकों व उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण निर्यात अवसर उपलब्ध करती है। ऐसे में बकरी के उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर निर्यात के माध्यम से बेहतरीन लाभ लिया जा सकता है।
केन्द्र के प्रभारी डॉ प्रदीप पगारिया ने बताया कि जून 2024 से जून 2025 तक एक वर्ष में एक हजार से अधिक युवाओं ने वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन का प्रशिक्षण लेकर एंटरप्रेन्योरशिप की दिशा में आगे बढ़े हैं, वर्तमान में प्रशिक्षण केंद्र पर उच्च शिक्षित युवाओं एवं किसानों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस दौरान एपीडा के सदस्य प्रत्युष ने भी विचार रखे। मौके पर प्रशिक्षणार्थियों को सर्टिफिकेट एवं प्रशिक्षण पुस्तिका का वितरण भी किया गया।
(Udaipur Kiran) / सतीश
