

— पवित्र संगम जल को भगवान श्री विश्वेश्वर से अवलोकित कराया गया
वाराणसी,28 जुलाई (Udaipur Kiran) । सावन मास के तीसरे सोमवार पर श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग तथा श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु के मध्य एक पावन नवाचार के रूप में पवित्र तीर्थ जल के पारस्परिक आदान-प्रदान की परंपरा की शुरूआत हुई। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अनुसार शास्त्रोक्त परंपरा में संगम त्रिवेणी जल से रामेश्वरम तीर्थ ज्योतिर्लिंग में रामनाथस्वामी के अभिषेक तथा रामेश्वरम कोडी तीर्थम से प्राप्त जल द्वारा श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के अभिषेक की अति विशिष्ट महत्ता है। इसी प्रकार रामेश्वरम सागर तट की रेत को प्रयाग संगम की रेत में मिलाने का भी विशेष महत्त्व शास्त्रों में वर्णित है। इसी शास्त्रोक्त आचार को संस्थागत करने की दिशा में सोमवार को सनातन धर्म के एक ऐतिहासिक गौरवमय क्षण को श्री काशी विश्वनाथ धाम में चरितार्थ करने का कार्य किया गया। यह पवित्र संगम जल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान श्री विश्वेश्वर से अवलोकित कराया गया। तत्पश्चात विशेष समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने यह पावन संगम जल एवं रेत, श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के देवकोट्टई जमींदार परिवार न्यास के प्रतिनिधि सी०आर०एम० अरुणाचलम एवं कोविलूर स्वामी को सौंपा।
इस अवसर पर राज्य के मंत्रियों के साथ विधायक,प्रदेश के प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य एवं पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, मंडलायुक्त एस. राजलिंगम, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री काशी विश्वनाथ भी मौजूद रहे।
बताते चले श्री काशी विश्वनाथ धाम से भेजे गए जल का प्रयोग रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के प्रधान महादेव श्री रामनाथस्वामी भगवान का श्रावण मास में अभिषेक-पूजन के लिए किया जाएगा। इसी प्रकार, रामेश्वरम से भेजे गए पवित्र जल से श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर श्री विश्वेश्वर का जलाभिषेक विधिपूर्वक संपन्न किया जाएगा। यह विशेष सनातन नवाचार उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत के तीन महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों—काशी, प्रयागराज एवं रामेश्वरम के मध्य आध्यात्मिक एकता, सांस्कृतिक समन्वय एवं राष्ट्रधर्म की भावना को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक अभिनव प्रयास है। भारत की सनातन परंपरा सदियों से नदी, तीर्थ, परंपरा और पूजा के माध्यम से राष्ट्र को जोड़ती रही है। उसी कड़ी को पुनः जीवंत करते हुए काशी और रामेश्वरम के दो पवित्र ज्योतिर्लिंगों के मध्य तीर्थ जल के पारस्परिक आदान-प्रदान की परंपरा शुरू हुई है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
