Jharkhand

कुड़मी-कुरमी का आंदोलन असली मुददों से ध्‍यान भटकाने की साजिश : लक्ष्मीनारायण

बैठक में शामिल आदिवासी संगठनों के लोग

रांची, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । झारखंड के विभिन्न आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठक शनिवार को नगड़ाटोली स्थित सरना भवन में हुई।

बैठक में सर्वसम्मति से यह मत रखा गया कि कुड़मी-कुरमी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने की मांग एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश है, जिसका उद्देश्य मूल आदिवासियों को हाशिए पर धकेलना और उनके संवैधानिक अधिकारों पर कब्जा करना है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कुड़मी-कुरमी समुदाय की ओर से एसटी दर्जे की मांग को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन को भाजपा, कांग्रेस और झामुमो जैसे राजनीतिक दलों का अप्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह आंदोलन जनता के असली मुद्दों भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई और जमीन के मुददों से ध्यान भटकाने के लिए खड़ा किया गया है।

मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता निशा भगत ने कहा कि कुड़मी-कुरमी समुदाय मूल आदिवासी नहीं, बल्कि एक संपन्न ओबीसी वर्ग है। यदि उन्हें एसटी में शामिल किया गया तो आदिवासी समाज के आरक्षण, रोजगार, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सांस्कृतिक अधिकारों पर गंभीर खतरा पैदा होगा। उन्होंने ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीआरआई) की 2004 की रिपोर्ट और केंद्र सरकार की 2015 की मानव जाति विज्ञान रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इन दोनों ने स्पष्ट रूप से कुड़मी-कुरमी की एसटी मांग को खारिज किया था।

बैठक में वक्ताओं ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि झारखंड में आदिवासियों को 26 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है, जबकि ओबीसी को 14 प्रतिशत ही आरक्षण प्राप्‍त है। यदि कुड़मी-कुरमी को एसटी दर्जा दिया गया तो सीमित संसाधनों का बंटवारा होगा और आदिवासी समुदाय पूरी तरह हाशिए पर चला जाएगा।

वक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के जंगलमहल क्षेत्र में टीएमसी और भाजपा के कुड़मी नेता इस मुद्दे को हवा देकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं, झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) और इसके अध्यक्ष जयराम कुमार महतो की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि उनका आरक्षण नहीं, संरक्षण का दावा सरासर धोखा है।

बैठक में यह भी मांग रखी गई कि भारत सरकार जातीय राजनीति से प्रभावित ढांचे के बजाय आधुनिक जेनेटिक और डीएनए शोधों पर आधारित एक स्वतंत्र वैज्ञानिक समिति गठित करे। ताकि 233 जातियों की एसटी मांग पर निष्पक्ष निर्णय लिया जा सके।

बैठक में मुख्य रूप से निरंजना हेरेंज टोप्पो, कुंदरसी मुंडा, फूलचंद तिर्की, डब्लू मुंडा, रविन्द्र सरदार, अमर तिर्की, नयन गोपाल सिंह, लक्ष्मी कुमारी सहित अन्य मौजूद थे।

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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar

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