नालंदा, बिहारशरीफ 1 अगस्त (Udaipur Kiran) ।
नालंदा जिले में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली से जुड़े जनप्रतिनिधियों की धड़कनें एक बार फिर तेज होने लगी हैं। पंचायत चुनाव की दो वर्ष की अवधि नवंबर में पूरी होने वाली है और इसी के साथ अविश्वास प्रस्ताव की सुगबुगाहट ने जोर पकड़ लिया है। जिला परिषद से लेकर प्रखंड प्रमुखों तक कई पदाधिकारियों की कुर्सी अब निशाने पर बताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार कई पंचायत प्रतिनिधि और निर्वाचित सदस्यों के बीच गुप्त स्तर पर गोलबंदी शुरू हो चुकी है। इनका उद्देश्य है—नाराजगी और अंदरूनी मतभेदों का लाभ उठाकर कुछ पदाधिकारियों को कुर्सी से हटाना। खासकर वे प्रतिनिधि जो खुद को पिछले कार्यकाल में धोखा खाया हुआ मानते हैं वे अब लामबंद होकर पुराना हिसाब बराबर करने की रणनीति बना रहे हैं।
प्रखंड स्तर पर भी हलचलें बढ़ रही हैं। जिले के कम से कम 15 प्रखंडों में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की तैयारी लगभग तय मानी जा रही है। जिला परिषद की कुर्सी को लेकर सबसे ज्यादा रस्साकशी देखी जा रही है, जिसे “हॉट सीट” माना जा रहा है।
जानकारों के अनुसार, कई मौजूदा प्रमुख और जिला परिषद अध्यक्ष अपने ही दल और गुट के प्रतिनिधियों से कटे हुए महसूस कर रहे हैं। आरोप है कि उनके व्यवहार और कार्यशैली को लेकर लगातार नाराजगी बनी हुई है, जिससे उनके खिलाफ माहौल तैयार हो रहा है।फिलहाल सभी निगाहें नवंबर पर टिकी हैं जब चुनावी अवधि पूरी होने के बाद संवैधानिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। उससे पहले के महीनों में जो जोड़तोड़ और रणनीतिक बैठकें चल रही हैं वह जिले की राजनीतिक जमीन को फिर से गर्माने के संकेत दे रही हैं।
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(Udaipur Kiran) / प्रमोद पांडे
