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रिश्वत लेने के मामले में सीबीआई के गिरफ्त में फंसे चीफ इंजीनियर के भाई की अंतरिम जमानत याचिका खारिज

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर

-मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की बैंच में नहीं पहुंचा अभियोजन पक्ष

बिलासपुर , 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) । छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के चीफ इंजीनियर विशाल आनंद को 32 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इस मामले में रिश्वत इंजीनियर विशाल ने अपने भाई कुणाल आनंद के माध्यम से ली। सीबीआई के इस आरोप में रिश्वत देने वाले ठेकेदार सुशील झाझरिया और उसके कर्मचारी मनोज पाठक को गिरफ्तार किया था। इस मामले में चीफ इंजीनियर विशाल आनंद के भाई कुणाल आनंद को 23 जुलाई 2025 को सशर्त जमानत दी गई थी। जिस पर यह कहा गया था कि दो जमानतदारों के साथ एक व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करे और आवेदक को निर्देश दिया जाता है कि यदि आवश्यक हो, तो वह जाँच में सहयोग करे और पैरोल/अल्पकालिक ज़मानत पर रिहाई के दौरान, वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ या किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा। ऐसा न करने पर, उसे दी गई अस्थायी ज़मानत स्वतः ही रद्द हो जाएगी। वही जमानत की अवधि को बढ़ाने के लिए एक बार फिर जमानत की अवधि बढ़ाने की मांग पर उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दाखिल की गई थी। जिसकी सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की बेंच में हुई। जिसमें अभियोजन पक्ष की अनुपस्थिति में तत्काल याचिका खारिज की गई है।

कोर्ट में अपने आदेश में कहा कि जब मामला बुलाया गया तो इस याचिका पर पक्ष रखने के लिए याचिकाकर्ता की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिनिधित्व किया गया। वहां ये भी कहा कि आदेश पारित होने के बाद, प्रतिवादी/सीबीआई के वकील हिमांशु पांडे ने प्रस्तुत किया कि उनकी उपस्थिति दर्ज की जाए। याचिकाकर्ता कुणाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक आपराधिक रिट याचिका दायर की थी। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होने के बाद चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की सिंगल बेंच ने खारिज कर दी है।

दरअसल सीबीआई की जांच में सामने आया कि भारतीय रेल सेवा (आइआरएसई 2000 बैच) के अधिकारी विशाल ने करोड़ों रुपये के ठेके और वर्क ऑर्डर दिलाने के नाम पर सुशील झाझरिया से यह रुपये मांगे थे। सीबीआई ने इस मामले में 25 अप्रैल 2025 को कुणाल को सह-अभियुक्त मनोज पाठक (मेसर्स झाझरिया निर्माण लिमिटेड के कर्मचारी) से उसके भाई विशाल आनंद, मुख्य अभियंता, आरएसडब्ल्यू, एसईसीआर, बिलासपुर की ओर से 31,93,500 रुपये रिश्वत लेते पकड़ा गया।

जिस प्राइवेट कंपनी से यह रिश्वत ली गई, वह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में कई बड़े निर्माण कार्य कर रही थी। इनमें रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी), अंडरब्रिज (आरयूबी), ट्रैक लाइनिंग, क्षमता वृद्धि के काम और छोटे-बड़े पुलों का निर्माण शामिल है। अब सीबीआइ कंपनी की ओर से पहले हासिल किए गए ठेकों की भी जांच शुरू करेगी कि क्या यह ठेके भी रिश्वत देकर हासिल किए गए थे। पिछले दिनों सीबीआइ ने रांची और बिलासपुर समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान बड़ी मात्रा में नकदी और कई अहम दस्तावेज बरामद होने की जानकारी मिली थी।

(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi

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