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निजी क्षेत्र में कंपनियाें को खनन की अनुमति मामले में उच्च न्यायालय ने खनन विभाग के सचिव को किया तलब

नैनीताल, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । उच्च न्यायालय ने निजी क्षेत्र में कंपनियाें को खनन की अनुमति दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद खनन विभाग के सचिव को 17 सिंतबर को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं ताकि इस पर निर्णय लिया जा सकें। जिससे निजी कंपनियां पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचा सकें।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी संताष हर्नवाल व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार की ओर से निजी क्षेत्र में कंपनियाें को खनन की अनुमति दिए जा रही है। याचिका में कहा कि वह अवैध खनन और क्षमता से अ​धिक दोहन करके पर्यावरण को क्षति पहुंचा रही है। पूर्व में कोर्ट ने सरकार को एक्शन प्लान मांगा था कि कैसे सरकार इसकी अनुमति दे रही है और सरकार स्वयं के निगम व खनन निगम बनाकर स्वयं खनन का कार्य क्यों नहीं करती।

इस प्रकरण पर पीसीसीएफ, वन विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक, सचिव सिंचाई पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि यह नितिगत मामला है और इसमें संबं​धित खनन विभाग निर्णय ले सकता है। जिसके बाद कोर्ट ने सचिव खनन को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए। इंसेट नैनीताल। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड की नदियों में अवैध रूप से हो रहे खनन और नियम विरुद्ध तरीके से नदियों के किनारे दिए गए खनन पट्टों के मामले में सुनवाई करते हुए सचिव सिंचाई, सचिव खनन, प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड समेत एमडी वन विकास निगम को उत्तराखंड में हो रहे अवैध खनन को रोकने का विस्तृत प्लान लेकर कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उत्तराखंड में हो रहे अवैध खनन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान की जानकारी दी थी। जिसके बाद मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने न्याय मित्र नियुक्त कर अवैध स्टोन क्रेशर ओर अनियमितता की रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। इस मामले में 17 सितंबर को सुनवाई होगी।

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(Udaipur Kiran) / लता

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