
नई दिल्ली, 7 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुसलमानों में बढ़ती कट्टरता को दर्शाती डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘क्रिमसन क्रेसेंट – द लास्ट क्वार्टर’ गुरुवार को रिलीज हुई। निर्माता और निर्देशक मयंक जैन की इस फिल्म का ट्रेलर गुरुवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में दिखाया गया। फिल्म एक घंटे सात मिनट की है।
इस फिल्म के निर्देशक मयंक जैन ने बताया कि जर्मनी में नाज़ी विचार और सोवियत संघ में कम्युनिज़्म, दोनों ही अपने आप ढह गए, क्योंकि लोग आज़ादी और तर्क चाहते थे। फिल्म कहती है कि वैसे ही, कट्टरपंथी सोच भी लंबे समय तक टिक नहीं सकती। आखिरकार, इंसान तर्क, शांति और इंसानियत की ओर लौटते हैं।
जैन ने बताया कि फिल्म दिखाती है कि सऊदी अरब ने पिछले 40 सालों में कट्टर वहाबी सोच फैलाने के लिए दुनिया भर में मदरसों को फंडिंग दी। इससे भारत जैसे देशों में भी दंगे और आतंकवाद फैला, जिसमें सबसे ज़्यादा नुकसान आम मुसलमानों को हुआ। उन्होंने बताया कि यह फिल्म संगम टॉक्स सहित कई ऑनलाइन प्लैटफार्म में प्रदर्शित की जा रही है।
उन्होंने फ्रांस के थिंक टैंक फंडापोल संस्था के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि दुनियाभर में आतंकवाद के 91 प्रतिशत शिकार खुद मुसलमान रहे हैं। भारत में भी कट्टरता के कारण भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इसमें 26/11 मुंबई हमलों में 100 अरब डॉलर, 2017 में आतंकवाद और दंगों से 1 ट्रिलियन डॉलर, 2020 तक 646 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।
मयंक जैन ने बताया कि फिल्म में बताया गया कि कई मदरसों में पढ़ाई के नाम पर कट्टरता फैलाई जाती है, जिससे युवाओं की सोच प्रभावित होती है। अब सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने कट्टर सोच पर रोक लगाने और समाज में बदलाव के लिए कई कदम उठाए हैं – अरबों डॉलर अब आधुनिक शिक्षा, तकनीक और नए शहर (जैसेनियोम) में लगाए जा रहे हैं। सऊदी में महिलाओं को ज्यादा अधिकार, सिनेमा हॉल खोलना, धार्मिक पुलिस की ताकत कम करना – ये सब एमबीएस की पहलें हैं। नियोम जैसे प्रोजेक्ट पर भारी खर्च से पुरानी कट्टर सोच की फंडिंग भी कम हुई है।
—————
(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
