West Bengal

21 जुलाई की तैयारियों के बीच बस संकट से आम जनता परेशान

हुगली, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । 21 जुलाई की तृणमूल कांग्रेस की शहीद दिवस रैली को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। चूंकि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह अंतिम शहीद दिवस रैली है, इसलिए पार्टी इसे लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। लेकिन इस रैली को लेकर सार्वजनिक परिवहन की भारी कमी के कारण आम लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है।

हुगली जिले के महत्वपूर्ण शहर आरामबाग समेत दक्षिण बंगाल के कई हिस्सों में 18 जुलाई से लंबे रूट बस सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं। कुछ गिनी-चुनी लोकल बसें जरूर चल रही हैं, लेकिन लंबी दूरी की अधिकांश बसों को सड़कों से हटा लिया गया है।

स्थानीय लोगों और यात्रियों का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस की रैली में भीड़ जुटाने के लिए इन बसों को जबरन ले जाया गया है।

बसें या तो पार्टी कार्यालयों के सामने खड़ी की गई हैं, या नो पार्किंग जोन में लाइन से रखी गई हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, आरामबाग से बर्दवान, बांकुड़ा, पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर और यहां तक कि कोलकाता तक जाने वाली बसें भी अब सड़कों से गायब हो गई हैं। अचानक बस सेवा ठप होने से आम यात्रियों की हालत बेहद खराब हो गई है। कई लोग मजबूरी में टोटो या मैजिक कार जैसी छोटी गाड़ियों का सहारा ले रहे हैं।

आरामबाग बस स्टैंड पर रोज यात्रा करने वाले यात्रियों की भीड़ और हताशा साफ देखी जा रही है। एक स्थानीय नागरिक सलीम मंडल ने कहा कि इस बार 21 जुलाई की रैली को लेकर आम लोगों में कोई उत्साह नहीं है। इसलिए जबरन यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि जनता तृणमूल के साथ है। इसके लिए ही बसें जबरन उठा ली गई हैं। हालत इतनी खराब है कि दो-तीन लोकल गाड़ियां ही चल रही हैं।

हालांकि अधिकांश आम लोग इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन बस मालिक संगठनों ने खुद स्वीकार किया है कि बसें रैली के लिए हटा ली गई हैं।

इस पूरे मुद्दे पर तृणमूल के राज्य सचिव और आरामबाग नेता स्वपन नंदी ने खेद जताया। उन्होंने कहा कि मैं हाथ जोड़कर क्षमा चाहता हूं। लेकिन लोगों को सभा में ले जाने के लिए बसें जरूरी हैं। इसलिए यह करना पड़ रहा है।

एक बस मालिक तरुण सरकार ने बताया कि हमसे कहा गया है कि गाड़ियां हटा लें। इसलिए बीच रास्ते से यात्रियों को उतारकर बसें ले जाई जा रही हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक रैलियों की तैयारियों के नाम पर आम जनता को यूं परेशान करना उचित है, और क्या प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम उठाएगा?

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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय

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