
अररिया, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) ।
फारबिसगंज के गंगा सरस्वती शिशु मंदिर एवं श्री रानी सरस्वती विद्या मंदिर में गुरुवार को रूप सज्जा समारोह का आयोजन किया गया। जहां शिशु वाटिका खंड के छोटे छोटे भैया-बहनों ने श्री कृष्ण एवं राधा का आकर्षक रूप धारण किया।
विद्यालय के वाटिका परिसर में राधा और कृष्ण के रूप में अनेकों जोड़ी शामिल हुए। पूरे वाटिका परिसर को गोकुल धाम के तरह सजाया गया था
जिसके दर्शन के लिए विद्यालय के दर्जनों अभिभावक बंधु भगिनी शामिल हुए। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष सच्चिदानंद मेहता ने कहा द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म अधर्म का नाश एवं धर्म की रक्षा के लिए हुआ था।भगवान श्रीकृष्ण स्वयं लगातार कर्म करते हुए कर्म करने की प्रेरणा विश्व को दिए हैं। वे योगेश्वर थे और गीता में कई जगह योग पर बल दिया है। उनके जीवन ओैर कथा से विनयशील होने और अहंकार छोड़ने की प्रेरणा मिलती है। उनका जीवन सत्य पर आधारित था। उनका जीवन सदा दूसरों पर उपकार करने वाला ही था।भगवान श्रीकृष्ण ने ग्वालों को संगठित कर समरस एवं सुसंगठित समाज का निर्माण किए थे।पर्यावरण को संरक्षण करने की कला हम श्रीकृष्ण जी से सिख सकते हैं। प्रकृति को मान दिलाने के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण लोकनायक के रूप में स्थापित हुए। चाहे कालिया नाग के विष के प्रभाव से यमुना नदी को बचाने का कार्य हो अथवा इंद्र का दम्भ चूर करने के लिए गोप-ग्वालों के द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा कराना हो।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य रामनरेश सिंह ने कहा सभी माता पिता अपने छोटे छोटे बच्चों में कृष्ण एवं राधा के रूप का दर्शन करते हैं। इस तरह के कार्यक्रम से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।भैया बहनों को श्री कृष्ण के आदर्शों को अपनाकर उनके द्वारा बताए गए मार्गो पर चलना चाहिए। इस अवसर पर स्थानीय विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के सचिव व लोक शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सह मंत्री डॉ. नेहा राज, सह सचिव राकेश रौशन, कोषाध्यक्ष प्रताप नारायण मंडल विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य आशुतोष कुमार मिश्र शिशु वाटिका प्रमुख नमीता वर्मा समेत अन्य अभिभावक बंधु भगिनी मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / राहुल कुमार ठाकुर
