Haryana

हिसार : बह्माकुमारीज की प्रथम मुख्य प्रशासिका थी मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती : बीके रमेश कुमारी

मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती (मम्मा।

मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती का 60वां पुण्य स्मृति दिवस हिसार केंद्र में मनाया गया हिसार, 24 जून (Udaipur Kiran) । ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती (मम्मा) का 60वां पुण्य स्मृति दिवस शहर के ज्योतिपुरा मोहल्ला केंद्र में मनाया गया। इस मौके पर उनकी याद में ब्रह्ममुहूर्त से ही योग-तपस्या का दौर शुरू हुआ। लगभग 500 ब्रह्मा वत्सों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया जिनमें ब्रह्माकुमारी अनीता, बीके अंतिमा, बीके नीरज, बीके मंजू, डॉ. राकेश मलिक, ओपी आर्य, डॉ. सोमप्रकाश, डॉ. राकेश कौशिक, बीके महेश, बीके अमन आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।हिसार केंद्र की संचालिका बीके रमेश कुमारी ने मंगलवार काे बताया कि वर्ष 1919 में अमृतसर के साधारण परिवार में मम्मा का जन्म हुआ था। उनके बचपन का नाम ओम राधे था। जब वे ओम की ध्वनि का उच्चारण करती थीं तो पूरे वातावरण में गहन शांति छा जाती थी, इसलिए भी वे ओम राधे के नाम से लोकप्रिय हुईं। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभावान थीं। ब्रह्मा बाबा ने कोई भी ज्ञान की बात उन्हें दोबारा नहीं सिखाई। वे एक बार जो बात सुन लेती थीं उसी समय से अपने कर्म में शामिल कर लेती थीं। 24 जून 1965 को उन्होंने अपने नश्वर देह को त्याग करके संपूर्णता को प्राप्त किया था।बीके रमेश कुमारी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 1965 तक मुख्य प्रशासिका की जिम्मेदारी निभाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की वर्ष 1937 में स्थापना के समय संस्थापक ब्रह्मा बाबा ने जब माताओ-बहनों के नाम एक ट्रस्ट बनाया तो उसकी जिम्मेदारी सबसे पहले मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती (मम्मा) को दी गई थी। तब से लेकर 24 जून 1965 तक उन्होंने इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बागडोर बड़ी ही कुशलता के साथ संभाली। कम उम्र होने के बाद भी आपका गंभीर व्यक्तित्व और ज्ञान की गहराई से सभी अंचभित रह जाते थे। 24 जून 1965 को मम्मा के अव्यक्त होने के बाद ब्रह्मा बाबा ने राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि को संस्थान की कमान सौंपी थी।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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