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मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में पहली बार जन्मा बाघ शावक, वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में जन्मा बाघ शावक

कोटा, 16 जून (Udaipur Kiran) । कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और सुखद समाचार सामने आया है। यहां पहली बार एक बाघिन ने शावक को जन्म दिया है। बाघिन एमटी-6 अपने नन्हे शावक के साथ कैमरे में कैद हुई है। यह दृश्य कैमरा ट्रैप के ज़रिए सामने आया और खुद राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा ने इसे सोशल मीडिया पर साझा किया है।

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के इंचार्ज डीएफओ एस. मुथु ने जानकारी दी कि यह शावक लगभग छह सप्ताह का है और पूरी तरह स्वस्थ प्रतीत हो रहा है। बाघिन एमटी-6 को अक्टूबर 2023 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से मुकुंदरा लाया गया था, जब वह लगभग ढाई वर्ष की थी। यहां एमटी-5 टाइगर के साथ उसकी मेटिंग हुई, जिसके परिणामस्वरूप यह शावक जन्मा है। एमटी-6 की यह पहली संतति है।

वन्यजीव विभाग का मानना है कि यह मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। डीएफओ मुथु ने बताया कि टाइगर के लिए उपयुक्त आवास विकसित करने के लिए घास के मैदान (ग्रासलैंड) बढ़ाए जा रहे हैं, चीतल, सांभर जैसे शिकार की संख्या में इजाफा हो रहा है और बाघों के प्राकृतिक व्यवहार के अनुसार माहौल तैयार किया जा रहा है।

विभाग रणथंभौर की बाघिन ‘कनकटी’ (जिसे हाल ही में एक घटना के बाद रेस्क्यू किया गया था) को भी जल्द मुकुंदरा में शिफ्ट करने जा रहा है। इसके लिए सीसीएफ स्तर पर कमेटी का गठन कर दिया गया है और शिफ्टिंग की अनुमति मिल चुकी है। इसके बाद मुकुंदरा में कुल चार बाघिन और एक बाघ हो जाएंगे।

टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मानवीय हस्तक्षेप को कम करने के लिए गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया भी तेज़ी से चल रही है। झालावाड़ के मशालपुरा और दामोदरपुर गांव के अधिकतर परिवारों का विस्थापन हो चुका है। अब गिरधरपुरा और कोलीपुरा जैसे बड़े गांवों के विस्थापन पर कार्य जारी है। विभाग की टीमें ग्रामीणों से लगातार संवाद कर रही हैं।

वन्यजीव संरक्षण संस्था पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने बताया कि एमटी-6 रणथंभौर की बाघिन टी-114 की पहली संतान है, जिसे दिसंबर 2023 में मुकुंदरा लाया गया था। उन्होंने एनटीसीए द्वारा दी गई स्वीकृति का हवाला देते हुए कहा कि अब मुकुंदरा में जल्द ही दो और बाघ तथा तीन बाघिन शिफ्ट की जानी चाहिए।

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(Udaipur Kiran)

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