
मंडी, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिला मंडी के जोगिंदर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत बुल्हा भड़याड़ा के समखेतर गांव के खेतों में अब फिर से फसलें लहलहाने लगी हैं। कभी सूखे और बंजर पड़े इन खेतों में अब गेहूं, मक्की, सब्जियां, अदरक और हल्दी की खेती हो रही है। यह बदलाव मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही फसल विविधिकरण प्रोत्साहन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से संभव हो सका है।
प्रदेश सरकार की पहल पर जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) की सहायता से हिमाचल में विभिन्न परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें सिंचाई सुविधाओं का विकास प्रमुख है। इसी कड़ी में समखेतर गांव में ₹39.47 लाख की लागत से बहाव सिंचाई परियोजना तैयार की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत भेड़े नाला से पानी को पाइपलाइन, पक्की नालियों और अन्य संरचनाओं के माध्यम से खेतों तक पहुंचाया गया है।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद किसानों के लिए खेती करना अब आसान हो गया है। पहले जहां खेती केवल वर्षा पर निर्भर थी, अब सिंचाई की सुविधा के चलते किसान साल में दो फसलें उगा पा रहे हैं। स्थानीय किसान शीला देवी ने बताया कि उनके खेत पिछले 10–12 वर्षों से बंजर थे, लेकिन अब सिंचाई के कारण खेतों में नमी बनी रहती है और वे गेहूं, मक्की के साथ-साथ सब्जियों की भी खेती कर पा रही हैं। उन्हें परियोजना के तहत अदरक व हल्दी के बीज भी निःशुल्क दिए गए हैं।
किसानों के अनुसार पहले जंगली जानवरों के डर से भी खेतों को छोड़ना पड़ता था। अब जब खेतों में नियमित खेती हो रही है, तो जानवरों का डर भी कम हुआ है। परियोजना के अंतर्गत उगाई गई फसलों की खरीददारी की व्यवस्था भी जाइका के माध्यम से सुनिश्चित की गई है, जिससे बिक्री के लिए बाजार गांव के पास ही उपलब्ध हो गया है।
ग्राम प्रधान भीम सिंह ने बताया कि यह परियोजना समखेतर गांव की कृषि व्यवस्था को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित हुई है। गांव के युवाओं में खेती के प्रति रुचि बढ़ी है और पलायन की प्रवृत्ति में भी गिरावट आई है।
इस परियोजना को खंड परियोजना प्रबंधन इकाई, सरकाघाट द्वारा सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया। खंड परियोजना प्रबंधक अश्वनी कुमार ने बताया कि इस सिंचाई परियोजना से लगभग 12.80 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे करीब 70 किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने बताया कि परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा किया गया और किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया, ताकि वे जल प्रबंधन को और बेहतर तरीके से समझ सकें।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
