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प्राक्कलन समिति का जयंती वर्ष-लोकतांत्रिक मूल्यों का जश्न मनाने का अवसर : बिरला

फोटो: संसद और विभिन्न राज्यों की प्राक्कलन समितियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला

मुंबई, 23 जून (Udaipur Kiran) । लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को मुंबई में कहा कि प्राक्कलन समिति का जयंती वर्ष संसदीय लोकतंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन के लोकतांत्रिक मूल्यों का जश्न मनाने का अवसर है।

ओम बिरला मुंबई में स्थित विधान भवन में संसद और विभिन्न राज्यों की प्राक्कलन समितियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि 10 अप्रैल 1950 को स्थापित संसद की प्राक्कलन समिति सार्वजनिक धन के उचित उपयोग की निगरानी करती है। समिति ने अब तक एक हजार से अधिक रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, बुनियादी ढांचे जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। समिति द्वारा की गई सिफारिशें देश की नीति तय करने में बहुत महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राजकोषीय अनुशासन के कार्य की प्रशंसा की। संसद और राज्य विधानसभाओं में प्राक्कलन समितियों ने सार्वजनिक व्यय की प्रभावी जांच करके प्रशासन को कुशल और लोगों के प्रति जवाबदेह बनाया है। समितियों ने भारतीय रेलवे जैसे क्षेत्रों में नीतिगत सुधारों, सरकारी सचिवालय के पुनर्गठन जैसी सिफारिशों और सार्वजनिक सेवाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने वाले निर्णयों पर उल्लेखनीय काम किया है। ओम बिरला ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से इन समितियों की विश्लेषणात्मक क्षमता को बढ़ाना, सदस्यों का कौशल विकास और जनता के साथ बेहतर संपर्क उनके भविष्य के कार्यों के लिए आवश्यक है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अंतिम घटक की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में पूर्वानुमान समिति का योगदान महत्वपूर्ण है। पूर्वानुमान समिति केवल आर्थिक जांच के लिए एक संस्था नहीं है, बल्कि यह अंतिम व्यक्ति की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक प्रभावी तंत्र है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा, प्रक्कलन शब्द संस्कृत से आया है और इसका अर्थ है ‘पिछली गणना’, जिसका अर्थ है अनुमान। जब सरकार का बजट पेश किया जाता है, तो उसके पीछे एक वैज्ञानिक प्रक्रिया होती है। विभागों को धन उपलब्ध कराते समय धन के समुचित उपयोग की जांच करने वाली एक व्यवस्था, प्राक्कलन समिति बहुत प्रभावी भूमिका निभाती है। यह समिति न केवल सिफारिशें करती है, बल्कि सरकार को अपने काम करने के तरीके बदलने के लिए भी मजबूर करती है। महाराष्ट्र में प्राक्कलन समिति की 65 से 70 प्रतिशत से अधिक सिफारिशें लागू की जाती हैं, जो बहुत सकारात्मक बात है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रशासन पर नैतिक दबाव बनाने वाली और अनुशासन, जिम्मेदारी और पारदर्शिता की संस्कृति पैदा करने वाली समिति प्रशासन को उसके सही कामकाज से अवगत कराती रहती है।

इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोरहे, विधानसभा के उपाध्यक्ष अन्ना बनसोडे, महाराष्ट्र विधानसभा की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष अर्जुन खोतकर, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्राक्कलन समितियों के अध्यक्ष और सदस्य, महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) यादव

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