West Bengal

युग का अंत, नक्सलबाड़ी आंदोलन के प्रमुख नेता अज़ीज़ुल हक का निधन

अजीजुल हक

कोलकाता, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रख्यात वामपंथी विचारक और नक्सलबाड़ी आंदोलन के अग्रणी नेता अज़ीज़ुल हक का सोमवार को निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से वृद्धावस्था जनित बीमारियों से जूझ रहे थे। हाल में उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें विधाननगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार दोपहर करीब 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। चिकित्सकों के अनुसार, उन्हें गंभीर रक्त संक्रमण हुआ था और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

अज़ीज़ुल हक बीसवीं सदी के साठ के दशक से वामपंथी राजनीति से जुड़े रहे। वह नक्सलपंथी आंदोलन के दो दिग्गज नेताओं—कानू सान्याल और चारु मजूमदार—के करीबी सहयोगी माने जाते थे। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की दूसरी केंद्रीय समिति के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया। चारु मजूमदार की मृत्यु के बाद वर्ष 1978 में अज़ीज़ुल हक ने निशीथ भट्टाचार्य के साथ मिलकर सीपीआई (एम-एल) की दूसरी केंद्रीय समिति की कमान संभाली।

उनके नेतृत्व में सीपीआई (एम-एल) ने उत्तरी और दक्षिणी बंगाल के कुछ ग्रामीण इलाकों तथा बिहार में अस्थायी क्रांतिकारी सरकार की स्थापना की थी। यह घटनाक्रम उस दौर में काफी चर्चा में रहा।

अज़ीज़ुल हक का एक बड़ा हिस्सा जेल में बीता। वर्ष 1970 में पार्वतीपुरम नक्सल षड्यंत्र मामले में उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा था। 1977 में जब पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा सरकार बनी, तो सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई के आदेश दिए गए, जिसके तहत अज़ीज़ुल हक को भी रिहा किया गया। हालांकि, 1982 में उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार किया गया था।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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