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शिक्षा प्रणाली में भारतीय ज्ञान परंपरा को अपनाकर ही पूरा होगा विकसित भारत का सपना : प्रो. बंसल

संगोष्ठी का कुलाधिपति उद्धघाटन करते हुए।
संगोष्ठी का कुलाधिपति उद्धघाटन करते हुए।

धर्मशाला, 17 जून (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय तथा इंडिया नॉलेज कंसोर्टियम (आईएनके), यूके के संयुक्त तत्वावधान में आधुनिक विश्व में भारतीय दर्शन, संस्कृति एवं परंपराओं की समकालीन प्रासंगिकता विषय पर मंगलवार को एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में 300 से अधिक विद्वानों और छात्रों ने भाग लिया।

इस मौके पर मुख्य संरक्षक हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा वैश्विक संकटों का स्थायी समाधान प्रस्तुत करती है। उन्होंने चार मूलभूत स्तंभों शांति स्थापना, पर्यावरण संरक्षण, नैतिक नेतृत्व और शैक्षिक क्रांति–नई शिक्षा नीति 2020 पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में हुए पांचों सत्रों को लेकर जो लेख आए हैं, उनको लेकर एक किताब प्रकाशित की जाएगी। भारतीय ज्ञान परंपरा का अनूठा चित्रण देश के लिए होगा। उन्होंने कहा कि हमने यह देखा भी जिस तरह से यूएसए, यूके और कई विकसित देश भारतवर्ष के ज्ञान की तरफ देख रहे हैं उससे पूरे विश्‍व को हमने सिद्ध भी कर दिया है कि भारत हर रूप में अग्रणी है।

इस मौके पर प्रो. सच्चिदानंद जोशी, सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली बतौर मुख्य अतिथि, मुख्य संरक्षक कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल, संरक्षक प्रो. सुनील, अध्यक्ष इंडिया नालेज कंसोर्टियम, विशेष अतिथि में प्रो. दिनेश कुमार, कुलपति विश्ववकर्मा स्किल विवि हरियाणा, प्रो. मनोज दीक्षित, कुलपति महाराजा गंगासिंह विवि बीकानेर, प्रो. रजनीश अरोड़ा, पूर्व कुलपति पंजाब टेक्निकल यूनिर्वसिटी जालंधर, प्रो. राज नेहरू ओएसडी मुख्यमंत्री हरियाणा मौजूद रहे।

इस दौरान मौजूद गणमान्यों ने सत्य शोधक पत्रिका, राही, अनुचिंतन, धौलाधार संदेश और क्रोनिकल मैनेजमेंट का लोकार्पण किया।

वहीं चांसलर पद्मश्री प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी ने कहा कि प्रो. बंसल का यह विजन भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। हमारा कर्तव्य है कि इस ज्ञान को भावी पीढ़ियों तक पंहुचाये। उन्होंने कहा कि इसी के माध्यम से हम 2047 में विकसित भारत का सपना पूरा कर सकेंगे। संगोष्ठी में विभिन्न विषयों पर पांच सत्र आयोजित किये गए।

इससे पूर्व कुलसचिव प्रो. सुमन शर्मा ने इस अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी की रूपरेखा को सभी के समक्ष रखा।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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