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रक्षा मंत्री ने उधमपुर में ‘बड़ाखाना’ की परंपरा निभाते हुए जवानों के साथ भोजन किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उधमपुर में बड़ाखाना की परंपरा निभाते हुए जवानों के साथ

– अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उधमपुर में सैनिकों के साथ योग करेंगे

नई दिल्ली, 20 जून (Udaipur Kiran) । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को उधमपुर में ‘बड़ाखाना’ की परंपरा निभाते हुए सशस्त्र बल के जवानों के साथ भोजन किया। वह शनिवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उधमपुर में सैनिकों के साथ योग करेंगे। उन्होंने यह कहकर जवानों का हौसला बढ़ाया कि जिस तरह से आप लोगों ने सीमापार स्थित आतंकियों के अड्डों को तबाह किया, उसने सिर्फ आतंकियों को नहीं, बल्कि उनके सरपरस्तों को भी यह संदेश दे दिया है कि यह नया भारत है, जो आतंक के किसी भी स्वरूप का जोरदार प्रतिकार करेगा। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि सीमापार बैठे आतंकियों और उनसे भी ज्यादा उनके पालने वालों को चेतावनी थी।

रक्षा मंत्री अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सैनिकों के साथ योग करने के लिए आज शाम दिल्ली से उधमपुर पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि बड़ाखाना की परंपरा कई दशकों से सशस्त्र बलों का अभिन्न अंग है। यह महज एक साथ बैठकर भोजन करने का ही एक आयोजन नहीं, बल्कि यह एक ऐसा क्षण होता है, जहां रैंक और पद, सब पीछे छूट जाते हैं और आगे आता है सिर्फ एक भाव कि हम सब एक हैं। आज का यह बड़ाखाना एकता का उत्सव है। युद्ध हो या शांति, सरहद हो या छावनी, हर परिस्थिति में सेना ने ‘बड़ाखाना’ की इस परंपरा को सहेजा है। यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि हम ऐसा परिवार हैं, जो खून के रिश्तों से भले नहीं जुड़ा है, लेकिन देशभक्ति, समर्पण और बलिदान के रिश्तों से जरूर जुड़ा है।

सैनिकों का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि उधमपुर वह स्थान है, जहां से हमारी उत्तरी सीमा की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी निभाई जाती है। इसलिए आप सभी भारत की सुरक्षा चेन का प्रमुख हिस्सा हैं। आपका जीवन, साहस की परिभाषा है। जब आम नागरिक सोते हैं, तब आप जागते हैं। जब देश त्योहार मनाता है, तब आप सीमाओं पर तैनात रहते हैं। जब बर्फ गिरती है, तो आप हिमवीर बनकर अडिग रहते हैं। जब दुश्मन गोले बरसाता है, तो आप सीना तानकर खड़े रहते हैं। बड़ाखाना आपको यह याद दिलाने का अवसर भी है कि देश आपको भूला नहीं है। उन्होंने कहा कि आप सिर्फ भारत की सीमाओं की ही नहीं, बल्कि देश के सम्मान और गरिमा की भी रक्षा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र आपकी तपस्या का ऋणी है। यह आपके हौसले, आपकी ताक़त और आपके संकल्प का ही परिणाम है कि आज हम आतंक को उसकी भाषा में जवाब देते हैं। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ उसका सबसे जीवंत उदाहरण है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आप में से कई सैनिक ऐसे होंगे, जिन्होंने उस ऑपरेशन में किसी न किसी रूप में भाग लिया होगा। आज इस बड़ाखाना में जब आप खाना खाएं, तो यह जान लें कि यह उस जीत की थाली भी है, जिसमें हमारी गरिमा, हमारी जवाबदेही और हमारा आत्मविश्वास परोसा गया है। ————

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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