

गाजियाबाद, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । गुनाहगार भले ही अदालत से रिहा हो जाये मगर कुदरत के दंड से बच नहीं सकता। प्यार, धोखा, गवाही और सबूतों में उलझे उदय नारकर के इस मराठी नाटक खरं सांगायचं तर का शनिवार को मंचन किया गया। सांगायचं तर का हिंदी रुपांतरण डा. वसुधा सहस्त्रबुद्धे और निर्देशन डा. ओमेन्द्र कुमार ने किया। मंचन के दौरान रोमांच से दर्शक बंधे रहे।।
हिन्दी भवन समिति गाजियाबाद द्वारा हिंदी भवन में आयोजित नाट्य समारोह का समापन आज दूसरे दिन अनुकृति रंगमंडल कानपुर के रहस्य रोमांच से भरपूर नाटक सच कहें तो के सफल मंचन के साथ हुआ।
नाटक में धन सम्पन्न अधेड़ अविवाहित शिरीन वाडिया अपनी सहयोगी सरस्वती बाई (दीपिका सिंह) के साथ आलीशान घर में रहती हैं। एक दिन शिरीन कहीं से घर लौट रही होती हैं कि तभी सड़क पर तेजी से गुजरती एक बस उन्हें चपेट में लेने ही वाली होती है कि अचानक नितिन सावरकर (ऐश्वर्य दीक्षित) शिरीन को हादसे से बचा लेता है। नितिन उसी शहर में छोटे से घर में रहता है, वो शादीशुदा मगर बेरोजगार है। दोनों की फिर से मुलाक़ात होती है एक सिनेमा घर में। शिरीन नितिन को अपने घर आने को कहती है। नितिन एक दिन शिरीन के घर आता है और बातों, मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो जाता है लेकिन इन दोनों की नज़दीकी सरस्वती को बिल्कुल पसंद नहीं। सरस्वती को नितिन की नीयत पर शक होता है। शिरीन और नितिन के बीच एक रिश्ता जन्म लेने लगता है। लेकिन एक दिन शिरीन वाडिया अपने घर में मृत पायी जाती हैं।
उस दिन सरस्वती छुट्टी पर है। पुलिस नितिन से पूछताछ करती है तो पता चलता है कि शिरीन की मृत्यु के दौरान नितिन वहीं था। पुलिस को नितिन पर शक है। नितिन अपनी पत्नी आयेशा (संध्या सिंह) की सलाह पर एडवोकेट कर्णिक (विजयभान) और राणे (सम्राट) से मिलता है और अपना केस लड़ने के लिए मदद मांगता है। तभी इंस्पेक्टर शिंदे (वसीम) एडवोकेट कर्णिक के ऑफिस से नितिन को गिरफ्तार कर लेता है।
नितिन के जाने के बाद आयेशा भी कर्णिक के दफ्तर आती है। आयेशा से केस के बारे में बातचीत के दौरान कुछ खुलासे होते हैं जिससे कर्णिक और राणे हतप्रभ रह जाते हैं।
अदालत में मुकदमे की सुनवाई शुरू होती है। सरकारी वकील एडवोकेट परांजपे (दीपक राही) मृत शिरीन की ओर से जिरह करते हैं। नितिन की पत्नी आयेशा भी अदालत में नितिन के खिलाफ बयान देती है। सारे सबूत और गवाही नितिन के खिलाफ हैं।
केस की अगली सुनवाई के लिए तारीख दी जाती है। परांजपे को अपनी जीत और कर्णिक को हार का अंदाजा हो चुका है। कर्णिक और राणे अपने ऑफिस में बैठे तभी आफिस की सहायक रश्मि (आरती शुक्ला) बताती है एक रहस्यमय औरत मिलने आयी है, वो कह रही है कि उसके पास कुछ सबूत हैं जो आरोपी नितिन के लिए उपयोगी साबित होंगे। इस औरत के पास कुछ पत्र हैं जो पूरी कहानी बदल देते हैं। क्या नितिन बेगुनाह साबित होता है? क्या राज है उन पत्रों का आखिर कौन थी वो रहस्यमय औरत?
दोहरी भूमिका में संध्या सिंह के बेहतरीन अभिनय को दर्शकों से भरपूर सराहना मिली। दीपिका सिंह, ऐश्वर्य दीक्षित, विजयभान, सम्राट, विजय कुमार, रोशन ने भी अपने किरदार बखूबी निभाये।
संगीत विजय भास्कर, मंच व्यवस्था आकाश शर्मा और प्रकाश परिकल्पना कृष्णा सक्सेना की थी।
इस मौके पर हिन्दी भवन समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल, महासचिव सुभाष गर्ग, बलदेव राज शर्मा ,वीके अग्रवाल, अरुण गर्ग, देवेंद्र हितकारी, नीरज गोयल, आर के जैन मुख्य रूप से मौजूद रहे।
—————
(Udaipur Kiran) / फरमान अली
