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मप्र में विज्ञान और नवाचार का संगम 26 से सितंबर से, इसरो के निदेशक आएंगे भोपाल

विज्ञान भारती मध्‍यभारत प्रांत अध्‍यक्ष अमोघ गुप्‍ता, विज्ञान मेले के बारे में बताते हुए
भोपाल में इस माह राष्ट्रीय महत्व का विज्ञान मेला बरकतउल्ला विश्वविद्यालय परिसर में 26 से 29 सितंबर 2025 तक होने जा रहा

भोपाल, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस माह राष्ट्रीय महत्व का विज्ञान मेला बरकतउल्ला विश्वविद्यालय परिसर में 26 से 29 सितंबर 2025 तक होने जा रहा है। यह 12वां भोपाल विज्ञान मेला है। इस बार इसकी थीम विकसित भारत 2047 का आधार विज्ञान एवं नवाचार है। विज्ञान भारती (भारतीय स्वदेशी विज्ञान आंदोलन), मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (एमपीसीएसटी) और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के सामूहिक तत्वावधान में आयोजित इस मेले में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक समेत देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शामिल होंगे।

इस संबंध में गुरुवार विज्ञान भारती मध्‍यभारत प्रांत अध्‍यक्ष अमोघ गुप्‍ता ने बताया कि यह मेला केवल राजधानी या प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे राष्ट्र को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में नई ऊर्जा देने वाला मंच बनेगा। यही कारण है कि इसे राष्ट्रीय महत्व का आयोजन माना जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि सन 2012 से भोपाल विज्ञान मेले का लगातार आयोजन हो रहा है और इसने पिछले वर्षों में प्रदेश और देश को अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां दी हैं। पहले हुए आयोजनों से छात्रों, शोधकर्ताओं और तकनीकि विशेषज्ञों को प्रत्यक्ष रूप से विज्ञान और तकनीकी नवाचारों का अनुभव मिला।

विज्ञान मेले की पूर्व सफलता : ग्रामीण कारीगरों के नवाचारों को बड़े उद्योगों ने अपनाया

अमोघ ने बताया कि वर्ष 2015 और 2017 के मेलों में ऊर्जा संरक्षण, जल प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण पर आधारित प्रदर्शनी ने प्रदेश के कई शैक्षणिक संस्थानों को प्रेरित किया, जिससे विद्यालय और महाविद्यालयों में विज्ञान क्लब स्थापित हुए। यही नहीं, ग्रामीण कारीगरों के नवाचारों को बड़े उद्योगों ने अपनाया और उन्हें व्यावसायिक स्तर पर आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

उन्होंने कहा, वर्ष 2019 के मेले का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है, जब कृषि नवाचारों की प्रदर्शनी ने किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों की ओर आकर्षित किया। जैविक खाद और सौर ऊर्जा आधारित उपकरण, जो उस समय प्रदर्शित किए गए थे, आज प्रदेश के कई जिलों में किसानों द्वारा अपनाए जा चुके हैं। इसी तरह छात्रों को वैज्ञानिकों से संवाद का अवसर मिला, जिसने उनमें शोध की दिशा में रुचि जगाई। इस प्रकार भोपाल विज्ञान मेला केवल एक वार्षिक आयोजन न होकर एक सतत सामाजिक-वैज्ञानिक आंदोलन बन गया है।

मेले में इस बार होंगे 150 नवाचार प्रदर्शित

उन्‍हानें कहा कि चार दिवसीय आयोजन में कई विशेष कार्यशालाएं और सत्र रखे गए हैं। “नवाचार संगम” के अंतर्गत कृषि और पर्यावरण से जुड़ी सामाजिक समस्याओं पर तकनीकी समाधान प्रस्तुत करने वाले नवाचारों की प्रतियोगिता होगी। इसमें अब तक 315 पंजीकरण हुए हैं और लगभग 150 नवाचार प्रदर्शित होंगे। “ज्ञान सेतु” नामक विज्ञान शिक्षक कार्यशाला में शिक्षकों को विज्ञान प्रयोग किट प्रदान की जाएगी, ताकि वे विद्यार्थियों को प्रयोग आधारित शिक्षा दे सकें।

भारतीय परंपरा और आधुनिक विज्ञान के संगम पर होगा विचार-विमर्श

इसके अलावा “भारतीय ज्ञान परंपरा संगोष्ठी” का भी आयोजन होगा, जिसमें भारतीय परंपरा और आधुनिक विज्ञान के संगम पर विचार-विमर्श होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंदौर के प्राध्यापक गंटी सूर्यनारायण मूर्ति इसका मार्गदर्शन करेंगे। इसी तरह “मेधा संवाद” कार्यक्रम के तहत प्रतिदिन 300 विद्यार्थियों को वैज्ञानिकों से सीधा संवाद करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा विद्यालय और महाविद्यालय स्तर के छात्र-छात्राएं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से विज्ञान और संस्कृति के अद्भुत संगम को प्रस्तुत करेंगे।

मेले की इस बार थीम है विकसित भारत 2047 का आधार विज्ञान एवं नवाचार

इस बीच मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (एमपीसीएसटी) महानिदेशक एवं विज्ञान मेले के अध्‍यक्ष डॉ. अनिल कोठारी एवं धीरेंद्र स्‍वामी आयोजन सचिव का कहना था कि इस महोत्सव में देशभर से वैज्ञानिक, शोधकर्ता, शिक्षक, विद्यार्थी और उद्योग जगत के विशेषज्ञ बड़ी संख्या में भाग लेंगे। इस बार का मेला विशेष रूप से “भारत का विज्ञान, भारत के लिए विज्ञान : विकसित भारत 2047 का आधार विज्ञान एवं नवाचार” विषय पर केंद्रित है। आयोजन समिति का कहना है कि यह मेला विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में विज्ञान और नवाचार की भूमिका को रेखांकित करेगा।

इसरो समेत देश भर के कई वैज्ञानिक संस्‍थान कर रहे प्रतिभाग

उन्‍होंने बताया कि मेले में अत्याधुनिक विज्ञान प्रदर्शनी, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और नवाचार स्टॉल लोगों को आकर्षित करेंगे। इस आयोजन में इसरो, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई), भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी), मैंगनीज़ अयस्क भारत लिमिटेड (एमओआईएल), भारत पेट्रोलियम, एडवांस्ड मटेरियल्स एंड प्रोसेसेस रिसर्च संस्थान (एएमपीआरआई), मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीपीसीबी), एनसीएल, एसीसी, बिरला श्वेत, सन फार्मा, ल्यूपिन, पार्ले एग्रो, एचईजी और ग्रासिम जैसी प्रमुख संस्थाएं भी भागीदारी करेंगी। साथ ही एमपीसीएसटी द्वारा ग्रामीण वैज्ञानिक कारीगरों के नवाचारों का प्रदर्शन भी होगा। इससे स्थानीय स्तर पर हो रहे वैज्ञानिक प्रयोगों और तकनीकी प्रयासों को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

समाज के हर वर्ग को शामिल होने का दिया गया है आमंत्रण

इनके साथ ही बरकतउल्‍ला विश्‍विद्यालय के कुलगुरु प्रो. एसके जैन ने कहा कि भोपाल विज्ञान मेला आम जनता के लिए भी खुला होगा। आयोजन समिति का कहना है कि यह केवल विशेषज्ञों या शोधकर्ताओं के लिए नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को इसमें शामिल होने का आमंत्रण है। आम नागरिक यहां आकर विज्ञान और नवाचार की दुनिया से रूबरू होंगे। नई तकनीकों को समझेंगे और यह अनुभव करेंगे कि विज्ञान किस प्रकार उनके जीवन को बेहतर बना सकता है।

एक प्रश्‍न के जवाब में आयोजन कर्ताओं का कहना था कि पिछले वर्षों के आयोजनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि भोपाल विज्ञान मेला समाज में वैज्ञानिक चेतना जगाने का सशक्त माध्यम है। अनेक विद्यार्थियों ने इसी मंच से प्रेरणा लेकर विज्ञान को करियर के रूप में अपनाया है। कई शोध परियोजनाएं और प्रतियोगिताएं ऐसे ही मेलों से प्रेरित होकर शुरू हुईं।

यहां बताया गया कि उद्योग जगत को भी इस आयोजन से नई तकनीकी दिशा मिली और उन्हें स्थानीय प्रतिभाओं से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ। उदाहरण के लिए, कम लागत वाले सौर उपकरण और जल शुद्धिकरण मशीनें, जो पहले ग्रामीण कारीगरों द्वारा प्रस्तुत की गई थीं, आज बड़े पैमाने पर उपयोग में लाई जा रही हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि भोपाल विज्ञान मेला न केवल प्रदर्शनी भर है, बल्कि समाज और उद्योग को नई दिशा देने वाला व्यावहारिक मंच है।

इस बार अनूठा अनुभव रहेगा, होगा प्राचीन से आधुनिक विज्ञान का मिलन

विज्ञान मेले के आयोजन सचिव डॉ. धीरेंद्र स्‍वामी का यहां कहना रहा कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत विकसित भारत 2047 की परिकल्पना में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आधार स्तंभ माना गया है। भोपाल विज्ञान मेला इस दृष्टिकोण को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यहां विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं में सीमित न रहकर समाज की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है।

उन्‍होंने कहा, भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक विज्ञान का संगम, तकनीकी नवाचारों की प्रदर्शनी और वैज्ञानिकों से संवाद निश्‍चित ही यह सब मिलकर भोपाल विज्ञान मेले को एक अनूठा अनुभव बनाएंगे। हम सभी को यही उम्‍मीद है। संवाददाताओं की जिज्ञासाओं का जवाब देने के लिए यहां तस्‍नीम हबीब, प्राजेक्‍ट समन्‍वयक, रत्‍नेश सिंह, महाप्रदर्शनी संयोजक, डॉ. प्रवीण कुमार दिघर्रा, वरिष्‍ठ प्रधान वैज्ञानिक, विकास शेन्‍दे, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक एवं अन्‍य वैज्ञानिकगण उपस्‍थ‍ित थे।

इसके साथ ही उनका कहना यह भी रहा कि दरअसल, इस वर्ष का आयोजन राष्ट्रीय महत्व का इसलिए भी है क्योंकि इसमें इसरो के निदेशक समेत अनेक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शामिल हो रहे हैं। उनके मार्गदर्शन से यह मेला भविष्य की वैज्ञानिक नीतियों और योजनाओं पर भी प्रभाव डालेगा। यह उम्मीद की जा रही है कि यहां प्रस्तुत विचार और नवाचार राष्ट्रीय स्तर पर नीतिनिर्माण में सहायक होंगे। जब देश के प्रमुख वैज्ञानिक एक ही मंच पर आकर विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं से संवाद करेंगे, तो उसका लाभ आने वाले वर्षों तक देश को मिलता रहेगा।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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