नयी दिल्ली, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 10 और 11 जुलाई को गुजरात के केवड़िया में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जिसमें चर्चा का फोकस इन विश्वविद्यालयों को वैश्विक शिक्षा परिदृश्य के लिए तैयार किये जाने पर होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) के कार्यान्वयन के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किये जा रहे इस सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार सम्मेलन का उद्देश्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की भूमिका को शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन के वाहक के रूप में पुनर्परिभाषित करना है। साथ ही, यह विकसित भारत एट 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालयों के योगदान को रेखांकित करेगा। दो दिवसीय इस विचार-मंथन में एनईपी 2020 की अब तक की प्रगति की समीक्षा की जाएगी और इसके आगामी चरणों के लिए दिशा तय की जाएगी।
चर्चा के केंद्र में तीन मुख्य बिंदु होंगे—पहला, रणनीतिक संरेखण, जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय नीति के अगले लक्ष्यों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। दूसरा, सहकर्मी संवाद और ज्ञान विनिमय को प्रोत्साहित करना ताकि संस्थागत नवान्वेषण, सक्षम वातावरण और साझा चुनौतियों पर मिलकर चर्चा की जा सके। तीसरा, भविष्य की योजना और तत्परता, जिसके अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों को आगामी नीतिगत मील के पत्थरों, नियामकीय बदलावों और 2047 के वैश्विक शिक्षा परिदृश्य के लिए तैयार किया जाएगा।
सम्मेलन में उच्च शिक्षा के प्रमुख आयामों जैसे शिक्षण व अधिगम, शोध और प्रशासन पर आधारित दस विषयगत सत्र आयोजित किए जाएंगे, जो एनईपी 2020 के मुख्य स्तंभों – समानता, उत्तरदायित्व, गुणवत्ता, पहुंच और वहनीयता – से जुड़े होंगे। इन सत्रों में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) और राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढांचा (एनएचईक्यूएफ/एनसीआरएफ) के कार्यान्वयन, भविष्य की नौकरियों के अनुरूप पाठ्यक्रमों के संरेखण, डिजिटल शिक्षा (स्वयं, स्वयं प्लस, आपार) और क्रेडिट ट्रांसफर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
इसके साथ ही, विश्वविद्यालय प्रशासन प्रणाली समर्थ, उच्च शिक्षण संस्थानों में समानता और समावेशन को बढ़ावा देना, पीएम विद्या लक्ष्मी योजना और वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन जैसे विषयों पर भी विचार किया जाएगा। भारतीय भाषाओं और भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए ‘भारतीय भाषा पुस्तक योजना’, शोध और नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए एएनआरएफ, उत्कृष्टता केंद्र (सीओई), प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ), रैंकिंग एवं प्रत्यायन प्रणाली, अंतरराष्ट्रीयकरण (स्टडी इन इंडिया), और शिक्षक विकास (मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम) जैसे विषय भी चर्चा का हिस्सा होंगे।
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख विश्वविद्यालयों में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, असम विश्वविद्यालय, गढ़वाल विश्वविद्यालय, कश्मीर विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, विश्व-भारती, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, त्रिपुरा विश्वविद्यालय, सिक्किम विश्वविद्यालय और कई अन्य संस्थान शामिल हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को 2040 तक बहुविषयक, नवाचारोन्मुखी और वैश्विक दृष्टिकोण वाला बनाना है। इस सम्मेलन के माध्यम से विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षा क्षेत्र के हितधारकों के बीच समन्वय को और अधिक मजबूत किया जाएगा। सम्मेलन से प्राप्त निष्कर्ष एनईपी 2020 के अगले चरण के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करेंगे और भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में उच्च शिक्षा की निर्णायक भूमिका को रेखांकित करेंगे।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
