
मंडी, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् द्वारा आयोजित संस्कृत सप्ताह के आनलाइन आयोजित समापन समारोह में भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी तथा हिमाचल प्रदेश में सैंट्रल रेंज मंडी में डी.आई.जी. सौम्या साम्बशिवन बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहीं। उन्होंने संस्कृत भाषा में सभी को संस्कृत सप्ताह की शुभकामनाएं देते हुए कहा ईश्वर को मैंने प्रत्यक्ष नहीं देखा, परंतु जिस भाषा से ईश्वर के तत्व का बोध हुआ, वही संस्कृत भाषा पूजनीय है।
अपने जीवनानुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि केरल राज्य में विद्यारंभ संस्कार के समय सबसे पहले अक्षत पर अक्षर लिखे जाते हैं, जिसमें पिता अपनी संतान को गोद में बैठाकर ॐ हरि श्री गणपतये नमः अविघ्नमस्तु इस मंत्र का लेखन कराते है। उन्होंने कहा कि जो विद्या संस्कृत से प्रारम्भ होती है, वह कभी निष्फल नहीं होती। मुख्यातिथि ने संस्कृत भाषा के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा संस्कृत भाषा असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमृतत्व की ओर ले जाती है। यह सप्ताह केवल भाषा का उत्सव नहीं, बल्कि संस्कार, संस्कृति और विवेक का समर्पण उत्सव है। संस्कृत केवल भाषा ही नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-दर्शन का मूल है। इसी भाषा की आधारशिला पर धर्म, चिकित्सा, योग, न्याय, शिक्षा तथा सामाजिक मूल्य स्थापित हैं। जहां संस्कृत वाङ्मय जीवित है, वहाँ समाज भी सुसंस्कृत और उन्नत होता है। जैसे धर्मो रक्षति रक्षितः कथन प्रसिद्ध है, वैसे ही संस्कृतं रक्षति रक्षितम् यह स्पष्ट करता है कि यदि संस्कृत की रक्षा होगी तो संस्कृति, संस्कार और समाज भी सुरक्षित और सुदृढ़ रहेंगे। संस्कृत के बिना समाज संस्कारहीन हो जाता है अतः जीवन के उन्नयन में इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि विश्व की अन्य सभी भाषाओं में अपशब्द पाए जाते हैं, परंतु संस्कृत एकमात्र भाषा है जो अपशब्दों से रहित है। उन्होंने विश्वासपूर्वक कहा कि जो व्यक्ति इस भाषा का अध्ययन करता है, वह कभी दुर्व्यसनों का शिकार नहीं हो सकता।
इस अवसर पर हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् के राज्य प्रवक्ता डॉ. अमित शर्मा तथा राज्य मीडिया प्रभारी कुंदन शर्मा ने संयुक्त रूप से कहा कि हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् द्वारा 6 अगस्त से 12 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह का आयोजन आनलाईन और आफलाइन माध्यम से किया गया जिसमें शिक्षकों, विद्यार्थियों और आमजन का उत्साहपूर्ण सहभागिता रही। इससे संस्कृत सप्ताह का गौरव और अधिक बढ़ गया। आनलाईन माध्यम से प्रतिदिन व्याख्यानमाला आयोजित की गई जिसमें प्रतिदिन छात्रोपयोगी तथा शिक्षकोपयोगी विषयों जैसे सरल मानक संस्कृत पर डॉ. सत्यदेव ने, गीतगायन पर शिवकुमार शिवा ने, कारक विभक्ति ज्ञान पर शिवानी ने, श्लोक गायन पर आचार्य धर्म प्रकाश ने, शब्द रूपों एवं धातु रूपों का गायन विधि से स्मरण पर आचार्य केवल शर्मा ने तथा समास परिचय पर आचार्य राजकुमार ने विषय प्रस्तुत किये। इसके साथ कक्षा छठी से आठवीं एवं कक्षा नवमी से बारहवीं के छात्रों के लिए दो वर्गों में क्विज़ करवाई गई जिसमें हजारों छात्रों ने सहभागिता की।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
