Madhya Pradesh

मंदसौर की बेटी को न्याय दिलाने के लिए बंद रहा शहर, लोगों ने की मासूम के गुनहगारों को फांसी की मांग

मंदसौर की  बेटी को  न्याय दिलाने के लिए बंद रहा शहर, सडक पर मौन होकर उतरा मंदसौर, मासूम के गुनहगारों को फांसी की मांग

मंदसौर 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । बिटियां हम शर्मिंदा है..तेरे दोषी जिंदा है…बिटिया के सम्मान में..हम सब है मैदान में…इन नारों से शुक्रवार को मंदसौर गूंज उठा। मामला था दुष्कृत्य की शिकार मासूम के गुनहगारों की फांसी की सजा रद्द कर आजीवन कारावास में बदलने का। मासूम के इंसाफ के लिए सैकड़ों लोग सडकों पर उतर आए। इनमें न कांग्रेस…न भाजपा…न महिला..न पुरुष..न कोई समाज और न कोई वर्ग…दिखाई दिया। दिखाई दे रही थी तो इंसाफ के लिए एक जुटता। गुरुवार को हुई बैठक में सर्व समाज से जुड़े पदाधिकारियों ने कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपियों को फांसी की जगह उम्रकैद की सजा देना न्याय नहीं, अन्याय है।

आरोपियों को फांसी की सजा की मांग को लेकर शुक्रवार सुबह 10 बजे गांधी चौराहा स्थित विश्वपति शिवालय पर लोग एकत्रित हुए। इसके बाद यहां से शहर बंद की अपील के लिए रवाना हुए। दोपहर आजाद चौक से एक रैली निकाली गई। मौन रैली पुलिस कंट्रोल रूम तक पहुंची। यहां सर्व समाज मिलकर ज्ञापन दिया। इसमें सभी समाजों की ओर से आरोपियों को फांसी दिलाने की मांग की गई।

बाजार रहे बंद

महत्वपूर्ण बात यह रही कि आज बंद का आव्हान सिर्फ सोशल मीडिया पर संदेश जारी कर किया गया था। इसके बाद भी लोगों ने बंद का खासा समर्थन दिया। बस स्टैंड, घंटाघर, सदर बाजार सहित शहर के प्रमुख बाजारों पर सन्नाटा पसरा देखा गया। व्यापार व्यवसाय बंद रख लोग रैली और ज्ञापन में शामिल हुए।

यह है मामला

दरअसल, हाल ही में मंदसौर कोर्ट ने 26 जून 2018 को 7 वर्षीय बालिका से हुए दुष्कर्म के बहुचर्चित केस में आरोपी इरफान व आसिफ को जिंदगीभर जेल की सजा सुनाई है, जबकि इससे पहले सेशन कोर्ट व उसके बाद हाईकोर्ट दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुना चुका था। फिर सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2025 में डीएनए रिपोर्ट को पर्याप्त न मानकर इसकी जांच करने वाले साइंटिफिक एक्सपर्ट के कोर्ट में बयान होना भी जरूरी बताए थे। इसके बाद मामला निचली अदालत भेजा था।

—————

(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया

Most Popular

To Top