श्रीनगर 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में जलवायु स्मार्ट कृषि के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया।
आईसीआरआईएसएटी के उप महानिदेशक डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मंजूर डार और डॉ. डेमारिस ओडेनी भी शामिल थे जबकि स्कॉस्ट-कश्मीर के अनुसंधान निदेशक प्रोफेसर हारून नाइक भी बैठक के दौरान उपस्थित थे।
चर्चा मुख्य रूप से स्कॉस्ट-के में शुष्क भूमि कृषि के लिए हिमालयन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना पर केंद्रित थी जिसे जम्मू और कश्मीर को जलवायु-अनुकूल और टिकाऊ कृषि में अग्रणी बनाने की एक ऐतिहासिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
प्रस्तावित केंद्र हिमालयी क्षेत्र की विशिष्ट कृषि-पारिस्थितिक परिस्थितियों के अनुकूल अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी प्रसार के केंद्र के रूप में कार्य करेगा। इसके मुख्य क्षेत्रों में जलवायु-अनुकूल फसल किस्मों का विकास, विकेन्द्रीकृत बीज प्रणालियों को सुदृढ़ बनाना, पुनर्योजी और शुष्क भूमि कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, मृदा एवं जल संरक्षण को बढ़ावा देना, तथा पूरे केंद्र शासित प्रदेश में किसान-केंद्रित मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना शामिल होगा।
विचार-विमर्श के एक प्रमुख भाग में जम्मू-कश्मीर के लिए चारा सुरक्षा के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डाला गया। विशेषकर पहाड़ी और वर्षा आधारित क्षेत्रों में कृषक परिवारों का एक बड़ा हिस्सा पशुधन पर निर्भर है।
मुख्य सचिव को चारा विकास कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने की तत्काल आवश्यकता से अवगत कराया गया। उन्हें बताया गया कि वर्ष भर गुणवत्तापूर्ण चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने से पशुधन उत्पादकता में सुधार होगा और ग्रामीण समुदायों के लिए पोषण और आजीविका सुरक्षा दोनों में वृद्धि होगी।
उत्कृष्टता केंद्र से फसल-पशुधन प्रणालियों, उन्नत अनुसंधान और किसान-केंद्रित नवाचारों को एकीकृत करने की अपेक्षा की जाती है जिससे आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर के कृषक समुदायों की स्थायी आजीविका, जलवायु परिवर्तनों के प्रति लचीलापन और दीर्घकालिक समृद्धि में योगदान मिलेगा।
(Udaipur Kiran) / सुमन लता
