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मुख्य सचिव पेश होकर बताए, विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में आदेशों के बाद भी संसाधन क्यों नहीं हैं: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों के बाद भी विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में संसाधन व सुविधाएं नहीं होने को गंभीर माना है। वहीं आगामी सुनवाई 18 जुलाई को मुख्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर शपथ पत्र व तथ्यात्मक रिपोर्ट सहित पेश होकर यह बताने के लिए कहा है कि राज्य सरकार ने इस संबंध में अभी तक क्या कार्रवाई की है। अदालत ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए उचित संसाधन व आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराना राज्य सरकार का दायित्व है, लेकिन कई बार निर्देश देने के बाद भी पिछले दस सालों में इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में यह केवल राज्य सरकार की लापरवाही नहीं है, बल्कि जानबूझकर न्याय प्रणाली में रुकावट डालने का प्रयास है। जस्टिस उमाशंकर व्यास ने यह निर्देश पॉक्सो से जुड़े मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि ट्रायल कोर्ट के कई प्रयास करने के बाद भी एफएसएल रिपोर्ट नहीं आई है और ट्रायल कोर्ट ने केस के निस्तारण के लिए और समय दिए जाने का आग्रह किया है। इस पर अदालत ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट नहीं आने से केस की ट्रायल पूरी नहीं हो रही है, बल्कि अभियुक्त को भी अनावश्यक तौर पर अभिरक्षा में रहना पड़ रहा है। यह उसके जल्द ट्रायल के अधिकारों का हनन है। पूर्व में भी अदालत ने डीजीपी व एसीएस होम को बुलाकर उनसे कार्रवाई के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने आश्वासन के सिवाय धरातल पर कुछ भी सार्थक प्रयास नहीं किया, यह अत्यधिक गंभीर है।

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(Udaipur Kiran)

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