

-ढहे पुल पर बीत में फंसे वाहन, राहत व बचाव कार्य में जुटी एसडीआरएफ
कछार (असम), 18 जून (Udaipur Kiran) । असम के कछार जिले में हाल ही में मरम्मत किया गया एक पुल बुधवार की सुबह ढह गया, जिससे भांगरपार में सिलचर-कलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य के कई महत्वपूर्ण मार्गों से कट गया। पुल गिरने की इस घटना ने बराक घाटी को अलग-थलग कर दिया है तथा पड़ोसी राज्य त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों से भी संपर्क को प्रभावित किया है।
यह पुल रंग नदी पर बना था। मरम्मत कार्य के बाद फिर से खुलने के कुछ सप्ताह बाद ही यह पुल आज ढह गया। इस पुल के मरम्मत पर लगभग 1.37 करोड़ रुपये खर्च होने की बात सामने आई है।
पुल ढहने के कारण पत्थरों से लदे दो ट्रक नदी में गिर गए, लेकिन कोई जानी नुकसान की खबर नहीं है। घटना का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि बदरपुर घाट पर गैमन ब्रिज एक अन्य महत्वपूर्ण संपर्क है, जिसका वर्तमान में नवीनीकरण किया जा रहा है, जिससे यात्रियों और ट्रांसपोर्टरों के पास आवागमन के बहुत कम विकल्प बचे हैं।
कछार जिला के आयुक्त मृदुल यादव और पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता स्थिति का आकलन करने के लिए तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। एसपी महत्ता ने कहा कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने पुल के ढहने के तुरंत बाद बचाव और राहत अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया है कि छोटे वाहनों के लिए अस्थायी रूप से मार्ग की अनुमति देने के लिए पास की एक सड़क की पहचान की गई है, लेकिन समग्र सड़क संपर्क गंभीर रूप से प्रभावित है।
यह पुल सिलचर-कलाइन मार्ग की अस्थायी जीवन रेखा के रूप में काम कर रहा था, जबकि एनएच-6 पर मुख्य कटिगोरा गैमन ब्रिज बंद है। अब दोनों के बंद होने से, यह क्षेत्र असम के बाकी हिस्सों और उससे आगे से लगभग कट गया है, जिससे लोगों में आक्रोश और चिंता बढ़ रही है।
स्थानीय निवासियों ने गहरी निराशा और गुस्सा व्यक्त करते हुए अधिकारियों और ठेकेदारों पर मरम्मत प्रक्रिया के दौरान घटिया सामग्री का इस्तामाल करने का आरोप लगाया। लोगों ने आरोप लगाया है कि पहले की “मरम्मत” मुख्य रूप से पेंटिंग और सतही सुधारों पर केंद्रित थी, जबकि गहरे संरचनात्मक मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया था। एक स्थानीय निवासी ने तो दावा किया कि आम लोगों ने जब इसका विरोध किया तो अधिकारियों और ठेकेदार ने दरकिनार करते हुए डराने-धमकाने का काम किया।
इस बीच बोरखोला के विधायक मिस्बाहुल इस्लाम लस्कर ने पुल ढहने वाले स्थान का दौरा कर जिम्मेदार एजेंसियों की तीखी आलोचना की, इस घटना को घोर लापरवाही और गुणवत्ता नियंत्रण की कमी का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि जिस पुल की अभी-अभी मरम्मत की गई थी, वह अचानक कैसे ढह सकता है? यह जवाबदेही की स्पष्ट विफलता है।—————–
(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
