Uttar Pradesh

हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी सहजता और सर्वग्राह्यता : डॉ. रवीन्द्र शुक्ल

अतिथियों का सम्मान करते कुलपति

हिन्दी समाज को एकता और संवाद की शक्ति प्रदान करती है: कुलपति

झांसी, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में राजभाषा हिन्दी पखवाड़ा–2025 के समापन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डा. रवींद्र शुक्ल पूर्व मंत्री, रहे, जबकि सारस्वत अतिथि के रूप में अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के सह संगठन मान्यता संजय श्रीहर्ष मिश्र ने सहभागिता की।

कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हिन्दी केवल राजभाषा की परिधि में बंधी हुई भाषा नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा और संस्कृति की अभिव्यक्ति है। जिस प्रकार नदियां अपने प्रवाह से जीवन देती हैं, उसी प्रकार हिन्दी समाज को एकता और संवाद की शक्ति प्रदान करती है। आज के समय में आवश्यक है कि हम प्रशासनिक कार्यों, शोध गतिविधियों, विज्ञान एवं तकनीक की भाषा के रूप में हिन्दी को विकसित करें। यदि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को मातृभाषा और राजभाषा के रूप में हिन्दी से जोड़ पाएंगे, तो यह राष्ट्र की आत्मनिर्भरता और आत्मगौरव का आधार बनेगी।

मुख्य अतिथि डा. रवींद्र शुक्ल ने कहा कि हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी सहजता और सर्वग्राह्यता है। यह वह भाषा है, जो ग्राम्य जीवन से लेकर शहरी परिवेश तक सभी को जोड़ती है। परंतु हिन्दी को हमें केवल उत्सवों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। अंग्रेजी में मात्र 26 अक्षर है, लेकिन, हम उसे प्रथम दर्जा देते हैं। वहीं, 52 अक्षरों वाले हिंदी को महत्ता नहीं देते हैं। यह चिंता का विषय है। हिंदी में हर एक शब्द का अर्थ है, अंग्रेजी में यह संभव नहीं है। अंग्रेजी में आंटी के कई अर्थ है लेकिन सटीक एक भी नहीं है। परंतु, हिंदी में हर रिश्ते के लिए शब्द है। हिंदी में एक ही क्रिया के भिन्न भिन्न प्रयोग हैं। हर शब्द के अनेक पर्यायवाची हैं। सारस्वत अतिथि संजय श्रीहर्ष मिश्र ने अपने विचार विस्तारपूर्वक रखते हुए कहा कि हिन्दी साहित्य केवल शब्दों का संसार नहीं है, बल्कि यह संवेदनाओं, अनुभवों और जीवन मूल्यों का दर्पण है। तुलसी, सूर और कबीर की वाणी से लेकर प्रेमचंद, निराला और महादेवी वर्मा की रचनाओं तक हिन्दी ने समाज को न केवल दिशा दी है बल्कि कठिन समय में संघर्ष और पुनर्निर्माण की प्रेरणा भी दी है। आज लाखों युवा ब्लॉग, पॉडकास्ट, यूट्यूब और सोशल प्लेटफॉर्म्स के जरिए हिन्दी में अभिव्यक्ति कर रहे हैं। यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संकेत है। समापन सत्र में विद्यार्थियों ने पखवाड़े भर आयोजित वाद-विवाद, निबंध लेखन, काव्य-पाठ, प्रश्नोत्तरी और अन्य प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।

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(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया

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