Uttar Pradesh

श्रेष्ठ जीवन का आंकलन व्यक्ति की मृत्यु के बाद होता है : ज्ञानेन्द्र मिश्र

कार्यक्रम के दौरान मंच पर बैठे किंजल, ज्ञानेन्द्र मिश्र व प्रधानाचार्य ब्रिज मोहन सिंह (बाएं से दाएं)

कानपुर, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । श्रेष्ठ जीवन का आंकलन व्यक्ति की मृत्यु के बाद होता है, जो समाज और राष्ट्र के लिए काम करता है उसी को याद किया जाता है। दीनदयाल जी का जीवन परहित समाजोपयोगी, देशोपयोगी एवं प्रेरणा देने वाला था। यह बातें गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकारणी सदस्य) ज्ञानेन्द्र मिश्र ने कही।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती समारोह का आयोजन बीएनएसडी शिक्षा निकेतन इण्टर कालेज बेनाझाबर में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि ज्ञानेन्द्र मिश्र (विभाग कार्यकारिणी सदस्य, कानपुर विभाग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) मौजूद रहे। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल का जीवन सादगी से भरा था, उनके विचार उच्च थे, वे प्रखर वक्ता, महान लेखक, निर्भीक पत्रकार, गम्भीर विचारक थे।

1947 में उन्होंने राष्ट्रधर्म पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया फिर पांचजन्य और फिर दैनिक स्वदेश का प्रकाशन शुरू किया। उन्होंने प्रसिद्ध उपन्यास सम्राट चंदगुप्त मौर्य और जगतगुरु शंकराचार्य भी लिखा। अखंड भारत क्यों उनकी प्रसिद्ध कृति है। उनका मानना था कि समाज में छुआछूत और भेदभाव राष्ट्र की एकता के लिए घातक है। वह स्वदेशी के प्रबल पक्षधर थे। हम सभी को पंडित दीनदयाल जैसे तपस्वी समाजसेवी, यशस्वी महापुरुष के सपनों के भारत का निर्माण करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज राष्ट्र के कार्य में लगा दिया। वह देश के प्रत्येक नागरिक के विकास के पक्षधर थे। अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी शिक्षित, स्वस्थ और सम्पन्न बनाने की उनकी चाह थी। पंडित दीनदयाल समाज के लिए कुछ अलग करना चाहते थे इसलिए नौकरी का विचार त्याग कर समाज सेवा का सपना लेकर भाऊराव देवरस के पास गए और स्वयं को आजीवन समाज सेवा के प्रति समर्पित कर दिया।

इस अवसर पर प्रधानाचार्य बृजमोहन कुमार सिंह, छात्र-छात्रायें एवं समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप

Most Popular

To Top