Uttar Pradesh

विश्वविद्यालय के शोध कार्यों का लाभ किसानों तक पहुँचना चाहिए: राज्यपाल

राज्यपाल से मिलती विश्वविद्यालय की टीम

लखनऊ,04 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल से शुक्रवार को राजभवन, लखनऊ में बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के कुलपति ने अपनी टीम के साथ भेंट की और (नैक) में ’ए’ ग्रेड प्राप्त होने पर राज्यपाल के मार्गदर्शन हेतु आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के कुलपति एवं उनकी टीम को नैक मूल्यांकन में ’ए’ ग्रेड प्राप्त करने पर हार्दिक बधाई दी और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा यह यात्रा यहीं रुकनी नहीं चाहिए। अब लक्ष्य यह होना चाहिए कि अगली मूल्यांकन प्रक्रिया में नैक की सर्वोच्च ग्रेडिंग, तथा एनआईआरएफ, क्यूएस एशिया और वर्ल्ड रैंकिंग में भी विश्वविद्यालय सर्वोच्च स्थान प्राप्त करे। विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकगण एवं स्टाफ सदस्य इस दिशा में कार्य करें, नए आने वाले टीम मेंबर्स को प्रशिक्षित करें और एक प्रशिक्षित एवं जागरूक शैक्षणिक टीम तैयार करें जो गुणवत्ता की दिशा में निरंतर गतिशील रहे।

राज्यपाल ने विशेष रूप से यह बात दोहराई कि विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे सभी शोध कार्यों का लाभ अंततः किसानों तक पहुँचना चाहिए, ताकि कृषि क्षेत्र में व्यावहारिक सुधार और नवाचार को बढ़ावा मिले। शोध का उद्देश्य केवल प्रकाशन तक सीमित न होकर समाज और विशेषकर ग्रामीण कृषक समुदाय को सशक्त करने वाला होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के उपायों पर शोध किया जाना आज की महती आवश्यकता है। विशेष रूप से यह देखा जाना चाहिए कि मानव एवं पशु जीवन पर इसके क्या प्रभाव हो रहे हैं, और उन्हें किस प्रकार संतुलित किया जा सकता है। इसी क्रम में उन्होंने खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या पर भी ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि यह विषय शोध का एक गंभीर केंद्र होना चाहिए कि मिलावट की जांच कैसे हो और इसे जड़ से कैसे समाप्त किया जाए। राज्यपाल ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली का उल्लेख करते हुए बताया कि संस्थान द्वारा हाल ही में नवीन वैक्सीन का सफल निर्माण किया गया है, जो एक उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धि है। कृषि विश्वविद्यालयों को भी इसी प्रकार के उपयोगी अनुसंधानों की दिशा में कार्य करना चाहिए, जिससे न केवल अकादमिक प्रगति, बल्कि समाज और कृषि क्षेत्र को प्रत्यक्ष लाभ मिल सके।

उन्होंने विश्वविद्यालय को यह भी निर्देश दिया कि खेतों की मेड़ों पर पौधे लगाने की परंपरा को पुनर्जीवित किया जाए और इस कार्य में किसानों को जोड़ने के साथ-साथ विद्यार्थियों को भी जागरूक और प्रेरित किया जाए। इससे न केवल हरित क्षेत्र का विस्तार होगा, बल्कि विद्यार्थियों में पर्यावरणीय चेतना भी विकसित होगी।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल0 जानी, विश्वविद्यालय के कुलपति और टीम सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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