

धर्मशाला, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रदेश में भारी बारिश, बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं से आई भयानक त्रासदी के बीच राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) लोगों के लिए देवदूत बन रहे हैं। अपनी जान की परवाह किये बगैर एनडीआरएफ के जवान लोगों की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसी कड़ी में बीते दिन 26 और 27 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा एवं चंबा जिलों में कई राहत एवं बचाव अभियानों को एनडीआरएफ के जवानों ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इन अभियानों के दौरान प्रतिकूल मौसम और बाढ़ जैसी परिस्थितियों के बीच फंसे नागरिकों एवं तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पंहुचाया गया है।
जिला कांगड़ा में के इंदौरा में 26बव 27 अगस्त 2025 की मध्यरात्रि को ब्यास नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि होने से निजी अरनी विश्वविद्यालय, इंदौरा परिसर में बाढ़ का पानी भर गया, जिससे 300-400 छात्र, छात्राएं एवं स्टाफ सदस्य फंस गए। इस दौरान एसडीएम इंदौरा सुरेंद्र ठाकुर के आग्रह पर इंस्पेक्टर/जीडी सुशील वर्मा के नेतृत्व में एक टीम तुरंत तैनात की गई।
तेज धारा और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद टीम ने 427 व्यक्तियों (412 छात्र, छात्राएँ एवं 15 स्टाफ सदस्य) को सुरक्षित बाहर निकाला। यह अभियान रात्रि दो बजकर 5 बजे एसडीएम इंदौरा द्वारा औपचारिक रूप से समाप्त किया गया।
इसी कड़ी में 27 अगस्त को भी टीम ने अरनी विश्वविद्यालय के प्रभावित क्षेत्र से अन्य 26 व्यक्तियों (19 पुरुष एवं 07 महिलाएँ) को सुरक्षित स्थान पर पंहुचाया। यह अभियान ललित मोहन सिंह, उप कमांडेंट, 14वीं बटालियन एनडीआरएफ के नेतृत्व में चलाया गया। इसी दिन, इंदौरा उपमंडल के मण्ड एवं सनौर क्षेत्रों में भारी बाढ़ के कारण ग्रामीण फंस गए। एनडीआरएफ की टीम ने 15 व्यक्तियों (8 महिलाएं, 4 पुरुष एवं 3 बच्चे) को सुरक्षित निकाला।
श्री मणिमहेश जी यात्रा, जिला चंबा में अभियान
बीते दिन 27 अगस्त को एनडीआरएफ की टीम हिमाचल प्रदेश पुलिस एवं प्रशासन के साथ गौरीकुंड से धनछो पंहुची, जहां श्री मणिमहेश जी यात्रा के दौरान अनेक यात्री फंसे हुए थे। टीम ने वहां अस्थायी पैदल पुल बनाया तथा सुरक्षा हेतु रस्सियों का सहारा प्रदान किया। निरंतर प्रयासों से टीम ने अभी तक 3,269 तीर्थयात्रियों (1,730 पुरुष, 1,259 महिलाएं एवं 280 बच्चे) को सुरक्षित पार कराया। सभी यात्रियों को सुरक्षित रूप से दुनाली की ओर भेजा गया, जहाँ से अन्य दलों की सहायता से उन्हें हड़सर की ओर सुरक्षित निकाला गया।बलजिन्दर सिंह, कमांडेंट, 14वीं बटालियन एनडीआरएफ ने बताया कि इन समन्वित एवं दृढ़ प्रयासों के माध्यम से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ने एक बार फिर यह साबित किया कि आपदा की घड़ी में नागरिकों एवं तीर्थयात्रियों की जान बचाने हेतु बल सदैव समर्पित है।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
