धर्मशाला, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । विश्व के बहु-जातीय साहित्य के अध्ययन के लिए सोसायटी (मेलो) का 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 19 से 21 सितंबर तक हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में देश और विदेश के विद्वान, प्रोफेसर, आलोचक और शोधकर्ता अपने विचार साझा करेंगे। इस वर्ष का विषय अनुकूलन की चुनौतियां : परंपरा और नवाचार का अंतर्संबंध निर्धारित किया गया है। जिसके अंतर्गत विश्व साहित्य और अनुकूलन अध्ययन में परंपरा और आधुनिकता के जटिल संबंधों पर चर्चा होगी। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला इस आयोजन को न केवल बौद्धिक बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेगा। तीन दिवसीय यह आयोजन वैश्विक विद्वानों को जोड़ने और गंभीर शैक्षणिक संवाद को आगे बढ़ाने की दिशा में मेलो (द सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ द मल्टी-एथनिक लिटरेचर ऑफ द वर्ल्ड) की प्रतिबद्धता को रेखांकित करेगा।
सम्मेलन में 12 देशों के शिक्षाविद करेंगे शिरकत
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 12 देशों के लगभग 200 से अधिक प्रतिभागी एक सौ से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। मेलो की अंतरराष्ट्रीय पहचान इसके परामर्श मंडल के सदस्यों से झलकती है, जिसमें इटली, अमेरिका, जापान, पोलैंड और नेपाल के प्रतिनिधि शामिल हैं।
1997 में शुरू हुआ था मेलो
विश्व के बहु-जातीय साहित्य के अध्ययन के लिए सोसायटी ( मेलो) की शुरुआत 1997 में हुई थी। यह सम्मेलन निरंतर संवाद और आलोचनात्मक विमर्श को प्रोत्साहित करता आया है। केंद्रीय विवि धर्मशाला के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने बताया कि पिछले साल 25वां एमईएलओडब्ल्यू सम्मेलन नेपाल के काठमांडू विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया था। इस बार भारत को इसकी मेज़बानी मिली है, जिसका जिम्मा हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय को सौंपा गया है।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
