


धमतरी, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को अब बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ स्कूलों के आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी भी निभानी होगी। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी नए आदेश में सभी स्कूलों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने और शिक्षकों को आवारा कुत्तों की जानकारी स्थानीय प्रशासन को देने के निर्देश शामिल हैं। आदेश जारी होने के बाद प्रदेशभर में शिक्षकों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है।
धमतरी जिला में छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने शनिवार को इस आदेश को अव्यवहारिक, अनुचित और शिक्षकीय गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। जिलाध्यक्ष डाॅ भूषण लाल चंद्राकर, प्रदेश उपाध्यक्ष देवनाथ साहू, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेंद्र पारिक, प्रांतीय महिला प्रतिनिधि सविता छाटा, जिला महिला प्रमुख बी यदु, ब्लाक अध्यक्ष गेवाराम नेताम सहित पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षकों पर पहले से ही अनेक गैर-शिक्षकीय कार्यों का बोझ है, ऐसे में आवारा कुत्तों की निगरानी जैसी जिम्मेदारी देना तुगलकी निर्णय है।
आदेश के अनुसार, शिक्षक स्कूल परिसर और आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों की सूचना ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, नगर निगम या संबंधित डॉग कैचर टीम को देंगे। इसके बाद प्रशासन शाला में कुत्तों के प्रवेश की रोकथाम हेतु आवश्यक कदम उठाएगा। एसोसिएशन ने कहा कि कुत्तों की निगरानी स्थानीय प्रशासन और नगरीय निकायों का कार्य है, इसे शिक्षकों पर थोपना अनुचित है। ऐसे निर्णय शिक्षकों की गरिमा को तार–तार करते हैं और शिक्षण कार्य को प्रभावित करते हैं। शिक्षकों का कहना है कि वे पहले से ही शिक्षा के अलावा सर्वे, मतदान, जनगणना और कई अन्य कार्यों में लगे हुए हैं। ऐसे में नए आदेश से उनकी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एसोसिएशन ने शासन से इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा