Madhya Pradesh

बाँधवगढ़ में पहली बार पर्यटकों के सामने आई तारा बाघिन अपने 3 शावकों के साथ

बाँधवगढ़ में पहली बार आई पर्यटकों के सामने तारा बाघिन अपने 3 शावकों के साथ

उमरिया, 11 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश के उमरिया जिले के विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की प्रसिद्ध बघिन तारा पहली बार अपने तीन नन्हे शावकों के साथ पर्यटकों के सामने आई, पर्यटकों में काफ़ी उत्साह नजर आया, इन नन्हे शावकों की उम्र लगभग 3 माह की है एवं उनका जन्म जुलाई से अगस्त माह के मध्य हुआ था।

तारा बाघिन का जन्म मशहूर बाघ भीम एवं ढमढमा फीमेल से हुआ। तारा बाघिन बाँधवगढ़ की सबसे मशहूर बाघिनों में से एक है एवं पर्यटकों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है। तारा की उम्र लगभग 9-10 साल है और इसका जन्म 2015 में हुआ था। तारा, ढमढमा फीमेल एवं भीम के litter की है एवं यह पांचवीं बार है जब तारा एक बार फिर माँ बनी है।

ऐसे पालती है शावकों को

बाघिन सामान्य तौर पर शुरुआती 1 से 2 माह तक शावकों को अन्य जंगली जानवरों से सुरक्षित रखने के लिए गुफा अथवा घनी झाड़ियों में छुपा कर रखती है एवं समय समय पर शावकों की लोकेशन भी बदलती रहती है। अनुकूलता के आधार पर बाघिन माँ अपने बच्चों को लगभग ढाई से 3 माह के मध्य अपने साथ चलना एवं जंगल के वातावरण में खुद को ढालना सिखाना प्रारंभ करती है। शुरुआती समय मे शिकार किये हुए जानवर के मांस को नर्म करने के लिए स्वयं चबाकर शावकों को खिलाती है। इन सब प्रक्रियाओं के बीच बाघिन को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि कोई दूसरा नर बाघ अथवा अन्य मांसाहारी जानवर उसके शावकों को नुकसान न पहुंचाए।

किसके हैं ये 3 शावक

तारा के वर्तमान के 3 शावक या तो पुजारी नर बाघ अथवा डी-1 नर बाघ के हो सकते हैं क्योंकि विगत डेढ़ वर्ष के दौरान तारा इन दोनों बाघों के साथ ही मेटिंग में रह चुकी है।

क्या दर्शाता है बाघों का प्रजनन

बाँधवगढ़ बाघों की नर्सरी के रूप में विश्वविख्यात है। बाँधवगढ़ के जंगल में बाघों के स्वतंत्र विचरण के लिए संरक्षण, रहवास हेतु घने वन एवं गुफाएं, शिकार के लिए प्रचुर मात्रा में prey base एवं पूरे वर्ष पीने के पानी की सुलभ उपलब्धता जैसी परिस्थितियां बाघों के निरंतर प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती हैं।

(Udaipur Kiran) / सुरेन्‍द्र त्रिपाठी