
रांची, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजधानी रांची के ऐतिहासिक बड़कागढ़ ईस्टेट में परंपरा के अनुरूप महाअष्टमी पर धूमधाम से अनुष्ठान का आयोजन हुआ।
जगरनाथपुर धुर्वा स्थित ठाकुर निवास परिसर में आयोजित इस अनुष्ठान में पूरे तांत्रिक विधि से महाहवन के बीच संधि बलि संपन्न हुआ। बताया गया कि 1880 ईस्वी से चली आ रही इस परंपरा के तहत महाहवन में चावल, जौ, तिल, गुड़, घी और मधु जैसी सामग्री अर्पित की गई। पूजनोपरांत मंगल आरती की गई और श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण हुआ।
वहीं दोपहर में संधि बलि का आयोजन किया गया, जिसमें तांत्रिक पद्धति से बकरे, भेड़, भतुआ, ईख और गड़ी की बलि दी गई। इसके बाद मां भगवती की मंगल आरती की गई। पूजा का अनुष्ठान आन्नी मौजा स्थित प्राचीन देवी घर में बड़कागढ़ के पुरोहित सदन गोपाल शर्मा के सान्निध्य में संपन्न हुआ।
पूजा के यजमान ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने कहा कि यह परंपरा हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही है और आज भी उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जा रही है। उन्होंने कहा कि मां भगवती चिंतामणि की पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक है।
उन्होंने बताया कि ठाकुर परिवार की महिलाओं ने पारंपरिक रूप से मां की डोली सजाई। महाअष्टमी से पूर्व
महासप्तमी पर मां भगवती चिंतामणि और नव पत्रिका देवी की डोली ठाकुर निवास से प्राचीन देवी घर तक निकाली गई थी। यह डोली विजयादशमी को पुनः ठाकुर निवास में लाई जाएगी। इसके बाद प्रतिदिन पूजा-अर्चना होगी।
अनुष्ठान में ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव के नेतृत्व में स्थानीय श्रद्धालुओं ने जयकारों के बीच मां की आराधना की।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह अनुष्ठान न केवल बड़कागढ़ ईस्टेट की ऐतिहासिक विरासत है, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का भी हिस्सा है।
इस अवसर पर बड़कागढ़, जगन्नाथपुर और लटमा राज परिवार के लोग शामिल हुए।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
