कुआलालंपुर, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव कम करने के प्रयासों के तहत शुक्रवार से मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में चार दिवसीय एक उच्च स्तरीय द्विपक्षीय व्यापार वार्ता हाेगी। इस आशय की जानकारी चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने गुरूवार काे जारी एक बयान में दी।
बयान के मुताबिक दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल कुआलालंपुर में 24 से 27 अक्टूबर तक उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता में शामिल हाेंगेे। यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब इस साल की शुरुआत में हुआ व्यापार समझौता विफल हो गया है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी के बाद दाेनाें देशाें के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर है।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक उप-प्रधानमंत्री ही लिफेंग के नेतृत्व में चीनी प्रतिनिधिमंडल इस वार्ता में भाग लेगा जिसमें अमेरिकी अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा होगी।
मंत्रालय के अनुसार, यह वार्ता दाेनाें राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुए महत्वपूर्ण समझौते के दायरे में होगी, जिसमें दोनों पक्षों के बीच सहमति बिंदुओं पर अमल और आगे की रणनीति पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
वार्ता का मुख्य उद्देश्य वर्तमान समय में दाेनाें देशाें के बीच जारी ‘व्यापार युद्ध’ को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।
उधर अमेरिकी पक्ष से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (यूएसटीआर) के वरिष्ठ अधिकारी वार्ता में भाग लेंगे।
यह वार्ता मलेशिया में इसलिए आयोजित की जा रही है ताकि तटस्थ मंच पर दोनों पक्ष खुलकर बात कर सकें। मलेशिया दोनों महाशक्तियों के साथ अच्छे संबंध रखता है। इस बीच चीन के मीडिया के अनुसार, लिफेंग अमेरिकी प्रतिनिधियों के अलावा मलेशियाई अधिकारियों के साथ भी द्विपक्षीय चर्चा करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और चीन की ‘डबल सर्कुलेशन’ रणनीति के बीच संतुलन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद 2018 से चला आ रहा है। हाल ही में, ट्रंप ने चुनावी रैलियों में चेतावनी दी थी कि यदि चीन अमेरिकी हितों का ध्यान नहीं रखता ताे आयात शुल्क 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिए जाएंगे। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी कृषि उत्पादों और तकनीकी निर्यात पर पाबंदियां लगाईं।
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(Udaipur Kiran) / नवनी करवाल