
इस्तांबुल, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । तुर्किये के सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र इस्तांबुल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रही बातचीत बेनतीजा रही। पाकिस्तान के संघीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार ने आज कहा कि इस्तांबुल में इस्लामाबाद और काबुल के बीच ताजा वार्ता कोई व्यावहारिक समाधान निकालने में विफल रही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने नागरिकों को आतंकवाद से बचाने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। तरार की इस टिप्पणी पर अफगानिस्तान की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
इस्लामाबाद से छपने वाले अखबार डान की रिपोर्ट के अनुसार, सीमा पर कई दिनों तक चली लड़ाई और अफगानिस्तान में गुल बहादुर समूह के शिविरों पर इस्लामाबाद के हमलों के बाद सबसे पहले दोनों देशों ने दोहा में वार्ता की। दोहा वार्ता के बीच अस्थायी युद्धविराम पर सहमति बनी। साथ ही दोनों देशों के बीच स्थायी शांति और स्थिरता के लिए तंत्र पर काम करने के लिए तुर्किये के इस्तांबुल में वार्ता करने की घोषणा की गई। पिछले हफ्ते दोनों पक्षों के बीच तुर्किये में दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई।
पाकिस्तान के संघीय सूचना एवं प्रसारणमंत्री अताउल्लाह तरार ने आज सुबह एक्स पोस्ट में कहा कि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान से सीमा पार के आतंकवाद के संबंध में बार-बार बातचीत की है। अफगान प्रतिनिधियों को बताया गया कि प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े आतंकवादियों को संरक्षण मिल रहा है। बलोचिस्तान के समूहों पर भी चर्चा की गई। तरार ने कहा कि हमारे प्रतिनिधिमंडल ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में आतंकवाद और अस्थिरता फैलाने में भारत की कथित भूमिका है।
उन्होंने कहा, तुर्किये में अफगान तालिबान शासन से बार-बार पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ दोहा समझौते में किए गए अपने लिखित वादों को पूरा करने के लिए कहा गया। हमारे मुल्क के यह सारे प्रयास अफगान तालिबान शासन के पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों को दिए जा रहे निरंतर समर्थन के कारण विफल साबित हुए। तालिबान शासन अफगानिस्तान के अवाम के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं रखता। तालिबान युद्ध अर्थव्यवस्था पर फलता-फूलता है। इसलिए वह अफगानियों को युद्ध में घसीटना और फंसाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा अफगानिस्तान के लोगों की शांति और समृद्धि की कामना की है। अफगानिस्तान के लिए त्याग किया है। इसी भावना से अफगान तालिबान शासन के साथ अनगिनत दौर की बातचीत हुई। दुर्भाग्य से अफगानिस्तान ने हमेशा नुकसान किया। अब पाकिस्तान के धैर्य का बांध टूट गया है। तरार ने शांति के प्रयासों के लिए कतर और तुर्किये का आभार जताया है।
तरार ने कहा कि पिछले चार दिनों की वार्ता के दौरान अफगान तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की मांग पर सहमति तो जताई पर कोई आश्वासन नहीं दिया। अफगान प्रतिनिधिमंडल मूल मुद्दे से भटकता रहा। कोई भी जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय अफगान तालिबान ने दोषारोपण, ध्यान भटकाने और छल-कपट का सहारा लिया। इस प्रकार वार्ता कोई व्यावहारिक समाधान निकालने में विफल रही। तरार ने कहा, पाकिस्तान के लिए अपने नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। हम आतंकवादियों, उनके पनाहगाहों, उनके समर्थकों और मददगारों का सफाया करने के लिए आवश्यक सभी संसाधनों का उपयोग जारी रखेंगे।
सूचना मंत्री तरार का यह बयान रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस बयान के कुछ घंटों बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि काबुल के साथ एक समझौता होने वाला था, लेकिन बातचीत के दौरान काबुल से संपर्क करने के बाद अफगान वार्ताकार पीछे हट गए। उन्होंने कहा, मैं उनके प्रतिनिधिमंडल की सराहना करता, लेकिन काबुल में बैठे लोग जिस कठपुतली का तमाशा कर रहे हैं, वे नई दिल्ली से नियंत्रित हैं। आसिफ ने कहा कि काबुल में इच्छाशक्ति की कमी है, क्योंकि भारत ने पैठ जमा ली है। अब अगर अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद की तरफ देखा भी तो हम उसकी आंखें निकाल लेंगे। रक्षामंत्री ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए काबुल जिम्मेदार है। काबुल दिल्ली का एक हथियार है। डान अखबार के अनुसार, अफगान पक्ष ने कुछ पत्रकारों को बताया कि वार्ता अनिर्णायक रूप से समाप्त हो गई है। काबुल में अधिकारियों ने पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल पर अनुचित आचरण और अस्वीकार्य मांगें रखने का आरोप लगाया।
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(Udaipur Kiran) / मुकुंद