
कानपुर, 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) । कानपुर मेट्रो कॉरिडोर-1 (आईआईटी – नौबस्ता) के लिए सभी ट्रेनों का आगमन अब पूरा हो चुका है। यह निकट भविष्य में शहर के सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन की एक झलक है। कानपुर के कॉरिडोर-1 के लिए 29 मेट्रो ट्रेनें और दोनों कॉरिडोर को मिलाकर कुल 39 ट्रेनें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनमें प्रत्येक में 3-3 कोच होंगे। कॉरिडोर-1 के नौबस्ता तक पूरा होते ही इन ट्रेनों की मदद से स्टेशनों पर मेट्रो टेनों की फ्रीक्वेंसी और भी बढ़ जाएगी, जिससे मेट्रो यात्रा और भी सुगम हो जाएगी। यह जानकारी सोमवार यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने दी।
कानपुर मेट्रो के कॉरिडोर-1 (आईआईटी – नौबस्ता) के लिए 29वीं और अंतिम मेट्रो ट्रेन की अनलोडिंग गुरूदेव चौराहा स्थित मेट्रो डिपो में की गई। लगभग 40 टन वजनी अत्याधुनिक मेट्रो कोच को विशेष क्रेनों की सहायता से ट्रैक पर उतारा गया। कॉरिडोर-1 के लिए प्रस्तावित संख्या के अनुरूप कुल 29 ट्रेनें आईं हैं और यह उनकी अंतिम डिलीवरी है। इन ट्रेनों को मेक इन इंडिया परिकल्पना के तहत गुजरात के सावली स्थित मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में तैयार किया गया है। अब आगे कॉरिडोर-2 के लिए 10 नई ट्रेनों के आगमन का सिलसिला शुरू होगा।
कानपुर मेट्रो ट्रेनें अत्याधुनिक तकनीक और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं। ये ट्रेनें संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली पर चलती हैं, जो ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन को संभव बनाती है। इनमें रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक के साथ ऊर्जा संरक्षण की दक्षता बढ़ाने वाला और वायु प्रदूषण को कम करने वाला अत्याधुनिक प्रॉपल्शन सिस्टम लगा है। साथ ही कार्बन-डाई-ऑक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम यात्रियों की संख्या के अनुसार काम करता है, जिससे ऊर्जा की उल्लेखनीय बचत होती है। इनकी यात्री क्षमता लगभग 974 यात्रियों की है, जबकि डिज़ाइन स्पीड 90 किमी प्रति घण्टे और ऑपरेशन स्पीड 80 किमी प्रति घंटा तक है।
यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए, इन ट्रेनों को उन्नत फायर और क्रैश सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पर डिजाइन किया गया है। इनमें फायर एस्टिंग्यूशर, स्मोक डिटेक्टर्स और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जबकि हर ट्रेन में यूएसबी चार्जिंग पॉइंट्स और इन्फोटेनमेंट के लिए एलसीडी पैनल्स भी उपलब्ध हैं। कानपुर मेट्रो की ट्रेनों को ऊर्जा आपूर्ति थर्ड रेल सिस्टम से की जाती है, जिसमें पटरियों के समानांतर बिछी तीसरी रेल से बिजली प्राप्त होती है। इन सभी विशेषताओं के साथ कानपुर मेट्रो ट्रेनें शहर को सुरक्षित, पर्यावरण–अनुकूल और आधुनिक सार्वजनिक परिवहन की दिशा में आगे ले जाने के लिए तैयार हैं।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
