
जोधपुर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सूर्योपासना से जुड़ा चार दिवसीय पर्व डाला छठ मंगलवार को सुबह उदित सूर्य को अघ्र्य देने के साथ संपन्न हो गया। पूर्वांचल की संस्कृति और भोजपुरी गीतों की स्वर लहरियों के बीच आज सुबह छठ व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देते हुए 36 घंटे का निर्जला व्रत संपन्न किया। इस दौरान पूर्वांचल के लोगों ने भगवान सूर्य और छठी मैया की उपासना करते हुए परिवार की खुशहाली की कामना की।
चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत शनिवार को नहाय खहाय के साथ हुई थी। इसके अगले दिन खरना और सोमववार को शाम के समय महिलाओं ने संध्या का अस्ताचलगामी सूर्य भगवान को अघ्र्य दिया। मंगलवार को अल सुबह महिलाओं ने पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अघ्र्य दिया। इसको लेकर व्रती महिलाएं जलाशयों तक मंगल गीत गाते हुए सपरिवार पहुंची। महिलाओं ने 16 शृंगार करते हुए आटा, गुड़, पंचमेवे और घी से तैयार ठेकुआ, फल, और मिठाई टोकरी और सूप में लेकर पानी में खड़े होकर सूर्य को अघ्र्य दिया और छठी मैया से संपन्नता और खुशहाली की कामना की।
छठ पर्व के समापन पर बड़ी संख्या में छठव्रती महिलाएं परिवार के साथ सूर्य को अघ्र्य देने के लिए रातानाडा गणेश मंदिर के पास बने तालाब पर पहुंची। यहां तालाब के पानी में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अघ्र्य दिया। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू हुए चार दिवसीय महापर्व के अंतिम दिन उदित सूर्य को अघ्र्य देने के बाद व्रती महिलाओं ने परिवार में खुशहाली एवं सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। वहीं घाट पर ही व्रतियों को प्रसाद दिया गया, जिसे लोगों ने अपने घर पर जाकर ग्रहण करते हुए पारण (व्रत पूर्ण) किया। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ पर्व संपन्न हो गया।
(Udaipur Kiran) / सतीश