
नई दिल्ली, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय ने 17 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे आनंद मैरिज एक्ट के तहत सिख शादियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था चार महीने में लागू करें। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि नियम न बनने से सिख नागरिकों के साथ असमान व्यवहार हो रहा है और यह संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य अपने नियम नहीं बनाते तब तक सभी जगह आनंद कारज शादियों को मौजूदा विवाह कानूनों के तहत रजिस्टर्ड किया जाए। अगर दंपति चाहें तो विवाह प्रमाण पत्र में साफ लिखा जाए कि शादी आनंद कारज रीति से हुई है। ये आदेश उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर लागू होगा जिन्होंने अब तक नियम नहीं बनाए हैं। जिन राज्यों ने नियम नहीं बनाए हैं उनमें उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड, यूपी, असम, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र, तेलेंगाना, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दमन-दीव, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार शामिल हैं।
याचिका अमनजोत सिंह चड्ढा ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कई राज्यों में नियम न होने के कारण सिख जोड़ों को शादी का प्रमाणपत्र पाने में बड़ी दिक्कत होती है, जबकि कुछ राज्यों में यह सुविधा मौजूद है।
(Udaipur Kiran) /संजय
—————
(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
