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वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 15 सितंबर को

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय

वक्फ संशोधन कानून पर अंतरिम रोक लगाने के मामले पर 15 सितंबर को फैसला सुनाएगा। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच फैसला सुनाएगी। कोर्ट का ये फैसला तय करेगा कि इस कानून के अमल पर रोक लगेगी या नहीं।

कोर्ट में इसके विरोध में याचिकाकर्ताओं की दलील है कि वक्फ कानून मुसलमानों से भेदभाव करने वाला और उनके धार्मिक मामलों में दखल है। वही सरकार का कहना है कि सैकड़ों साल पुराने वक्फ कानून की खामी को दूर करने के लिए सरकार यह कानून लाई है। इस कानून को व्यापक विचार विमर्श और सदन में चर्चा के बाद पास किया गया है। उच्चतम न्यायालयने इस मामले पर 22 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वक्फ संशोधन कानून में वक्फ करने के लिए 5 साल प्रैक्टिसिंग मुस्लिम के प्रावधान पर दलील रखते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में शादी, तलाक, वसीयत आदि के लिए खुद को मुस्लिम साबित करना होता है। इस कानून में अंतर बस इतना है कि इसमें कम से कम पांच साल की समय सीमा तय की गई है। वक्फ करने के लिए 5 साल से इस्लाम प्रैक्टिस करने की शर्त रखी गई है।

वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में राजस्थान सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि वक़्फ बाय यूजर इस्लाम का मुख्य अंग नहीं है। सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि वक्फ काउंसिल्स में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाना धर्मनिरपेक्षता नहीं है । उन्होंने कहा था कि हमारी आपत्ति भी यही है कि किसी भी हिंदू धर्म स्थान की बंदोबस्ती में एक भी व्यक्ति गैर हिंदू नहीं है।

17 अप्रैल को उच्चतम न्यायालयमें केंद्र सरकार ने कहा था कि वक्फ संशोधन कानून के विवादित प्रावधान फिलहाल लागू नहीं होंगे।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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