
नई दिल्ली, 06 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उच्चतम न्यायालय ने कैश फॉर जॉब मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले के आरोपित तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी से कहा कि अगर वो मंत्री बनना चाहते हैं तो उन्हें न्यायालय से अनुमति के लिए अर्जी दाखिल करनी होगी, जिस पर न्यायालय विचार करेगा। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि न्यायालय ने बालाजी को मंत्री बनने से नहीं रोका है और निश्चित रुप से हम उन्हें मंत्री बनने से रोकने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन जिस दिन आप मंत्री बनेंगे और हमें पता चलेगा कि आप गवाहों को प्रभावित करने में लिप्त रहे हैं, तो हम जमानत वापस ले लेंगे।
दरअसल, सेंथिल बालाजी ने न्यायालय में अर्जी दाखिल कर कहा था कि जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने अप्रैल में पारित अपने आदेश में कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले के लंबित रहने के दौरान वो मंत्री नहीं बन सकते। तब न्यायालय ने कहा कि हम इस आदेश को बालाजा के मंत्री बनने पर रोक के रुप में नहीं देखते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल को सेंथिल बालाजी से कहा था कि या तो आप मंत्री पद छोड़े या आपकी जमानत निरस्त कर दी जाएगी। उच्चतम न्यायालय की इस फटकार के बाद सेंथिल बालाजी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। न्यायालय ने इस बात पर गौर किया था कि एक मंत्री के रुप में सेंथिल बालाजी ने शिकायतकर्ता पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। न्यायालय ने कहा था कि जमानत ट्रायल में देरी और लंबे समय तक हिरासत में रहने के आधार पर दी गई थी, मामले के गुण-दोष के आधार पर नहीं।
बालाजी को 14 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था। 12 अगस्त, 2023 को बालाजी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। बालाजी के खिलाफ तमिलनाडु राज्य परिवहन विभाग में बस कंडक्टरों की नियुक्ति के साथ-साथ ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा मामला है। ये सभी नियुक्तियां 2011 और 2015 के बीच सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान की गईं।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह
