
नई दिल्ली, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कीमत समझनी चाहिए और इस स्वतंत्रता के साथ-साथ स्व-नियंत्रण और संयम का पालन करना चाहिए। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सोशल मीडिया पर बढ़ती विभाजनकारी प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
कोर्ट ने साफ किया कि वो सेंसरशिप की बात नहीं कर रहा है, बल्कि चाहता है कि लोग खुद से जिम्मेदारी निभाएं और अपनी बातों में संयम बरतें। कोर्ट ने कहा कि कोई नहीं चाहता की सरकारें इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप करें। इसलिए जरुरी है कि लोग खुद जिम्मेदारी लें और सोशल मीडिया या दूसरे प्लेटफार्म्स पर ऐसा कुछ नहीं कहें, जिससे समाज में तनाव फैले। नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना बनाए रखने की जरुरत है। आज के समय में जब अलगाववादी विचार तेजी से फैल रहे हैं, तो नागरिकों को सोच-समझकर बोलना चाहिए।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और उकसाने वाली पोस्ट को लेकर चिंता जताने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां की। कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या आचार संहिता बनाई जा सकती है, जिससे अभिव्यक्ति की आजादी और समाज में सौहार्द्र के बीच संतुलन बना रहे।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
